प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर को लेकर भड़काऊ बयान देने वाले पीएमआई (PMI) सदस्य की अर्जी को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि संविधान में बोलने को दी गई आजादी का मतलब ये नहीं है कि दूसरे समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाया जाए. 


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जमानत याचिका खारिज
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच ने धार्मिक भावनाएं भड़काने के एक मामले में पीएमआई के सक्रिय सदस्य मोहम्मद नदीम की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस चंद्र धारी सिंह (Justice Chandra Dhari Singh) की एकल पीठ ने ये आदेश दिया है.


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विश्वास और आस्था से खेलने का अधिकार नहीं
पीठ ने कहा कि, "धर्मनिरपेक्ष राज्य में लोगों को प्राप्त भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार, नागरिकों की धार्मिक भावनाओं और विश्वासों और आस्था को चोट पहुंचाने का पूर्ण लाइसेंस नहीं है."


अभियुक्त के खिलाफ पर्याप्त सबूत
सुनवाई के दौरान अपर शासकीय अधिवक्ता ने अभियुक्त की याचिका का जोरदार विरोध किया. सरकारी वकील ने कोर्ट में बताया की आरोपी पीएफआई का एक्टिव सदस्य है. विवेचना के दौरान अभियुक्त के खिलाफ तमाम साक्ष्य मिले हैं कि अभियुक्त ने धार्मिक भावनाएं भड़काने का काम किया है. साथ ही कोर्ट में यह भी बताया गया की अभियुक्त पहले भी इस तरह के अपराध में लिप्त पाया गया है. पीएफआई सदस्य मोहम्मद नदीम के खिलाफ बाराबंकी के कुर्सी थाने में 153ए IPC के तहत FIR दर्ज की गई है.


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आरोपी ने की धार्मिक भावनाएं भड़काने की कोशिश
एकल न्यायाधीश ने FIR को ध्यान में रखते हुए कहा कि आरोपी नदीम के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है, ये देखा गया कि प्राथमिकी से पता चलता है कि आरोपी कथित रूप से दो धार्मिक समुदायों के बीच दुश्मनी और घृणा की भावना को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा था. इसलिए प्रथम दृष्टया यह दंडनीय अपराध है.


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