बलिया का वो बागी जय प्रकाश नारायण, 9 साल की उम्र में छोड़ा गांव, आजादी की जंग में कूदे फिर इंदिरा के खिलाफ मोर्चा
JP 122 Birth Anniversary: .`लोकनायक` के नाम से मशहूर हुए जेपी की आज 122वीं जयंती है. उनके जन्मदिन पर जानते हैं बलिया के एक छोटे से गांव से निकला लड़का कैसे देश में क्रांति की आवाज बन गया.
JP 122 Birth Anniversary: “सम्पूर्ण क्रांति” से मेरा तात्पर्य समाज के सबसे अधिक दबे-कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना है. ये कहना था भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और राजनेता जयप्रकाश नारायण का. उनकी एक आवाज पर नौजवानों का हुजूम सड़कों को जाम कर देता था.'लोकनायक' के नाम से मशहूर हुए जेपी की आज 122वीं जयंती है. उनके जन्मदिन पर जानते हैं बलिया के एक छोटे से गांव से निकला लड़का कैसे देश में क्रांति की आवाज बन गया.
बलिया का जयप्रकाश नगर
बलिया के आखिरी छोर पर एक गांव है, नाम है जयप्रकाश नगर. 11 अक्टूबर 1902 को यूपी-बिहार की सीमा पर स्थित द्वाबा के सिताबदियारा की इसी धरती पर जयप्रकाश यादव का जन्म हुआ. गंगा और घाघर नदी के बीच स्थित इस जगह को द्वाबा कहा जाता है. परिसीमन हुआ तो यह बैरिया विधानसभा में आ गया. इसी धरती से समाजवाद की खुशबू पूरे देश में सुगंध बिखेरने लगी.
2023 में जेपी की जयंती पर गांव आए थे गृहमंत्री
लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर गृहमंत्री अमित शाह 11 अक्तूबर 2023 को बलिया के सिताबदियारा पहुंचे थे. इस दौरान लोक नायक की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ कई अन्य केंद्रीय मंत्री शामिल हुए. गांव मे जेपी के नाम पर भले बहुत कुछ हो लेकिन यहां की सुविधाएं अभी भी दुरुस्त होने का इंतजार कर रही हैं.
9 साल की उम्र में छोड़ा गांव
हरसू दयाल और फूल रानी की चौथी संतान जय प्रकाश यादव ने 9 साल की उम्र में ही गांव छोड़ दिया और पटना के कॉलेजिएट स्कूल में पढ़ाई करने पहुंच गए. जेपी मन पढ़ाई में खूब लगा था. स्कूली दिनों में ही वह प्रताप, प्रभा जैसी पत्रिकाएं पढ़ा करते थे. 1920 में प्रभादेवी से विवाह हुआ. इसके बाद फिर वह पढ़ाई में रम गए. 1922 में वह पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए. यहीं उन्होंने मजदूरों को होने वाली तकलीफों को करीब से जाना. मार्क्स के समाजवाद से प्रभावित जेपी एम.ए करने के बाद 1929 में भारत लौट आए.
आजादी की लड़ाई में कूदे जेपी
इस समय भारत में आजादी के लिए संग्राम चरम पर था. जेपी भी इसमें कूद पड़े. जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी जब जेल गए तो जेपी ने देश के अलग-अलग हिस्सों में आंदोलन को मजबूत किया. अंग्रेजी सरकार ने उनको भी गिरफ्तार किया और नासिक जेल में बंद कर दिया. आजादी से पहले जो जेपी कांग्रेस के साथ खड़े दिखाई देते थे वह दो दशक बाद इंदिरा गांधी की कांग्रेस के सरकार के खिलाफ उतर आए.
इंदिरा गांधी को देना पड़ा इस्तीफा
1975 में जब चुनाव में भ्रष्टाचार के आरोप के चलते इंदिरा गांधी से इस्तीफे की मांग हुई. जिसके बाद देश में आपातकाल लग गया. जेपी समेत हजारों विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया. 1977 में इमरजेंसी खत्म हुई और मार्च 1977 में चुनाव हुए तो पहली बार भारत में गैर कांग्रेसी सरकार बनी. इसका चेहरा जयप्रकाश थे. 8 अक्टूबर 1979 को उनका पटना में ह्रदय रोग से निधन हो गया.
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