बलिया/ मनोज चतुर्वेदी: दाल, चावल और दूसरे खाद्य पर्दार्थो के साथ अब सब्जियों में भी मिलावट शुरू हो गई. बलिया में खाद्य एवं सुरक्षा विभाग की टीम ने बलिया नवीन मंडी से एक व्यापारी के यहां से 21 क्विंटल मिलावटी आलू पकड़ा है. आप आप सोचेंगे आलू में भला किस चीज की मिलावट तो आइये आपको विस्तार से बताते हैं आलू में किस चीज की मिलावट की जाती है और मिलावट करने का मकसद क्या है. 


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शिकायत मिलने पर खाद्य विभाग ने की कार्रवाई
बलिया के खाद्य एवं औषधी विभाग के सहायक आयुक्त डॉ. वेद प्रकाश को शिकायतें मिल रही थीं कि बलिया में आलू को रंग कर बेचा जा रहा है. जांच के दौरान ऐसी शिकायत सही मिली तो खाद्य एवं औषधी विभाग की टीम में छापे मारने शुरू किये. इसी कार्रवाई के दौरान टीम को एक व्यापारी के यहां से 21 क्विंटल रंगा हुआ आलू प्राप्त हुआ. 


बलिया के खाद्य एवं औषधी विभाग के सहायक आयुक्त डॉ वेद प्रकाश मिश्रा ने बताया की पकड़े गए मिलावटी आलू का सैंपल जांच के लिए लखनऊ भेजा गया है, रिपोर्ट आने पर अग्रिम कार्रवाई होगी. 


आलू को रंगने का मकसद 
डॉ वेद प्रकाश मिश्रा ने बताया कि आलू में जिस रंग को मिलाया जा रहा था उसे गेरुआ रंग कहते हैं. जांच में पता चलेगा कि इस रंग में कौन-सा केमिकल मिला होता है. आलू को रंगने का मुख्य उद्देश्य मुनाफा कमाना है. पुराने आलू पर रंग का इस्तेमाल करने से उसकी कीमत बढ़ जाती है, यानी जो पुराना आलू पहले 30 रुपये किलो बिक रहा होगा वह रंगने के बाद  नये आलू के दाम में महंगा बिकना शुरू हो जाता है. 


कैसे रंगा जाता है आलू
आलू को रंगने के लिए उसमें एक खास प्रकार का पाउडर डाला जाता है. और इसके बाद आलू के बोरे को चलने से अच्छी तरह हिलाया जाता है. जिससे आलू के ऊपर रंग चढ़ जाता है. अब पुराना आलू भी नए आलू की तरह लाल भूरा दिखाई देता है. बलिया बॉर्डर का जिला है इसलिए यह रंगा हुआ आलू जनपद के अलावा दूसरी जगह पर सप्लाई किया जाता है. 


कैसे करें कृत्रिम रंग से रंगे आलू की पहचान 
कृत्रिम रंगों से रंगे आलू को पहचानने का सबसे अच्छा तरीका है कि उसे हाथ में थोड़ा मसल कर देखें, ऐसा करने पर अगर आपके हाथ रंग जाते हैं तो समझ लिये कि आलू पर रंग चढ़ाया गया है. इसके अलावा सब्जी बनाने से आधे घंटे पहले आलू को पानी में छोड़ दीजिये, अगर आलू में रंग होगा तो वह आसानी से निकल जाएगा और अगली बार के लिए आप सतर्क हो जाएंगे. 


मिलावटी सब्जियों पर डॉ. की सलाह
डॉ0 विजय पति द्विवेदी के बताया कि नॉन एडबिल पेंट्स पिगमेंट से चमकदार बनाने वाली चीजों से बेहद नुकसान होता है. लीवर और किडनी को गैस्ट्राइटिस का खतरा बना रहता है. भले ही उसका छिलका निकाल दें. खास तौर पर आलू उबलते समय कई बार फट जाता है ऐसे में उसका अंश आलू के अंदर चला जाता है जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक होता है. ऐसे कृत्रिम रंग से स्टमक पेन, गैस्ट्राइटिस, लीवर पर हिपैटोटॉक्सिक और किडनी में नेफ्रोटॉक्सिक हो सकता है.


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