बलिया: महिला PCS अधिकारी की आत्महत्या को लेकर परिजनों ने योगी सरकार से की CBI जांच की मांग
दिवंगत PCS अधिकारी मणि मंजरी राय के पिता ने आरोप लगाया है कि उनकी बेटी की हत्या की गई. हत्या की वजह उसका एक ईमानदार अधिकारी होना था.
बलिया: उत्तर प्रदेश के बलिया में 6 जुलाई को महिला पीसीएस अधिकारी मणि मंजरी राय की आत्महत्या को लेकर उनके पिता जय ठाकुर राय ने बेटी के लिए इंसाफ की मांग की है. उन्होंने बकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपनी बेटी के आत्म हत्या के मामले में पुलिस की जांच को संदिग्ध बताया और कहा कि एक्टर सुशांत सिंह राजपूत केस की ही तरह ही उनकी बेटी की भी खुदकुशी की सीबीआई जांच की जाए.
पिता का आरोप 'बेटी की हत्या हुई'
दिवंगत PCS अधिकारी मणि मंजरी राय के पिता ने आरोप लगाया है कि उनकी बेटी की हत्या की गई. हत्या की वजह उसका एक ईमानदार अधिकारी होना था. उनके पिता ने कहा कि घटना में जिन 5 लोगों को उन्होंने आरोपी बनाया उनमें से नगर पंचायत के चेयरमैन भीम गुप्ता के आरोपी ड्राइवर को भले ही पुलिस ने गिरफ्तार किया है लेकिन बीजेपी से जिला पंचायत चेयरमैन बने भीम गुप्ता को पुलिस ने अब भी नहीं पकड़ा है. उन्होंने कहा कि बेटी की खुदकुशी के मामले में उन्हें न्याय चाहिए और अगर मामले की CBI जांच हो, तभी दूध का दूध और पानी का पानी हो पाएगा.
मंत्री के भाई पर भी परिजनों ने लगाया आरोप
यही नहीं मामले में दिवंगत मणि मंजरी राय के बड़े भाई कौशलेश राय ने योगी सरकार के मंत्री और बलिया के फेफना विधान सभा से विधायक उपेंद्र तिवारी के भाई कमलेश तिवारी को कठघरे में खड़ा किया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि कमलेश तिवारी भी नगर पंचायत चैयरमैन भीम गुप्ता समेत फर्जी भुगतान के खेल में शामिल थे.
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क्या है पूरा मामला ?
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में तैनात एक महिला पीसीएस अफसर मणि मंजरी राय ने 6 जुलाई को कोतवाली क्षेत्र स्थित आवास में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. वे मनिया नगर पंचायत में अधिशासी अधिकारी के तौर पर तैनाती थीं. पुलिस को उनकी खुदकुशी वाली जगह से सुसाइड नोट भी मिला था, जिसमें उन्होंने सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े किए थे. मंजरी 2016-17 बैच की पीसीएस अफसर थीं.
परिजनों ने कहा 'भ्रष्टाचार का बनाया गया दबाव'
दिवंगत मंजरी के भाई विजय नंद राय ने उसी वक्त नगर कोतवाली में 5 लोगों के खिलाफ तहरीर दी थी. इन आरोपियों में भाजपा के नगर पंचायत अध्यक्ष भीम गुप्ता, लिपिक विनोद और कंप्यूटर ऑपरेटर अखिलेश, ड्राइवर और पूर्व अधिशासी अधिकारी संजय राव शामिल हैं. आरोप है कि, शासन से आए दो करोड़ रुपए को अपनी फर्मों को बांटने को लेकर भीम गुप्ता मंजरी पर दबाव बना रहे थे. पीसीएफ अफसर ने इसकी शिकायत डीएम से भी की थी. आखिरकार प्रताड़ना से तंग आकर उन्होंने अपनी जान दे दी.
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