अजय कश्यप/बरेली: प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के सख्त आदेश के बाद सरकारी दफ्तरों में दलालों के खिलाफ अभियान चलाया गया था जिससे इन दफ्तरों में दलालों की आवक तो कम हुई है लेकिन फिर भी कुछ दलाल अब भी सक्रिय हैं. बरेली के आरटीओ ऑफिस में दलाल राज कायम है जिसकी जी मीडिया की पड़ताल में खुलासा भी हुआ है. 


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आरटीओ ऑफिस के दलाल राज का भंडाफोड़
दलालों का राज आरटीओ ऑफिस के बाहर इतना बड़ा है कि इन दलालों की संख्या सैकड़ों से बढ़कर अब हजारों में हो गई है. करीब 2000 से अधिक दलाल हमेशा यहां पर डटे रहते हैं और जैसे ही कोई उपभोक्ता अपना काम करने आरटीओ कार्यालय में आता है वैसे ही अंदर बैठे बाबू चक्कर लगाते हैं क्योंकि उनको तभी फायदा होगा जब उपभोक्ता का काम एक दलाल के जरिए उनके पास आएगा. आखिर में उपभोक्ता परेशान होकर दलाल के चंगुल में जा फंसता है और जहां पर जो काम चंद रुपये में हो सकता है वहां उसके हजारों रुपये खर्च हो जाते हैं. जिले के आरटीओ ऑफिस के दलाल राज का भंडाफोड़ हुआ है. 


आरटीओ ऑफिस के बाहर बैठे दलाल से बातचीत 
आरटीओ ऑफिस के बाहर बैठे आमिर नाम के एक दलाल के पास जाकर जब फोर व्हीलर का लाइसेंस बनवाने का काम बताया गया तो उसने बाकायदा अपनी रेट लिस्ट दिखाई. उसने पहले कहा कि 1200 रुपये में आपका लर्निंग होगा, जब परमानेंट लाइसेंस बनवाने की बात आई और कहा गया कि गाड़ी चलानी भी नहीं आती है तो दलालने कहा कि कोई दिक्कत नहीं है. उसने कहा कि आपको साढ़े 6 हजार रुपये देने होंगे. इसके बाद जब दलाल से कहा गया कि गाड़ी का स्टेरिंग ही कभी पकड़ा नहीं है तो इस पर रेट और हाई हो गया. आमिर ने साढे 6 हजार वाला रेट हटाकर 8000 कर दिया और ये तक कह दिया कि आप सिर्फ अपनी बायोमेट्रिक करवा लीजिए बाकी सारा काम हम देख लेंगे. ऐसी स्थिति में ये समझना मुश्किल नहीं कि यहां पर दलालों की मंडी किस तरह उपभोक्ताओं को नोच कर खा रही है. 


सबकी रेट लिस्ट तैयार थी 
अगले दलाल के पास जाकर पता किया गया तो उसने बताया कि लर्निंग लाइसेंस के भाव 1500 रुपए है. वहीं अगर फोर व्हीलर का लाइसेंस परमानेंट करवाना है तो उसके लिए साढ़े छह हजार रुपए देने पड़ेंगे. खास बात यह थी कि यह अपनी रेट लिस्ट इस तरह बता रहा था जैसे एक दुकानदार अपने सामान की रेट लिस्ट बताता है. इतना बड़ा खेल आरटीओ ऑफिस में चल रहा था कि जिसमें उपभोक्ता को सहूलियत की जगह परेशानी हो रही थी. 


आरटीओ ऑफिस के अंदर भी बड़ा खेल
अभी तो बाहर का ही खेल चल रहा था लेकिन आरटीओ ऑफिस के अंदर भी बड़ा खेल चल रहा है. सरकारी कार्यालय के अंदर भी धड़ल्ले से दलाल और प्राइवेट कर्मचारी काम करते हुए दिखाई दे रहे थे. इसको देखकर यह समझते देर नहीं लगी कि बाहर के दलाल और अंदर बैठे सरकारी कर्मचारियों के बीच पैसों का तारतम्य बेहद शानदार है. जिसमें सरकारी कर्मचारी आराम फरमाते नजर आ रहे थे और प्राइवेट कर्मचारी शान से सरकारी कार्यालय में बैठकर काम कर रहे थे. इस तरह का दलाल राज सरकारी विभाग में शायद ही कहीं देखने को मिलता हो. 


बरेली के एआरटीओ दफ्तर का हाल 
वहीं दूसरा मामला बरेली के एआरटीओ दफ्तर का है. बरेली के एआरटीओ दफ्तर में एक पूछताछ केंद्र बनाया गया है, जहां पर अपने काम के सिलसिले में आने वाले लोगों को तमाम जानकारियां उपलब्ध कराई जाती हैं. कोई किसी दलाल के चक्कर में न पड़ सके इसके लिए पूरे दफ्तर में जगह-जगह पर वॉल पेंटिंग भी कराई गई है. इसके अलावा दफ्तर में दलालों के प्रवेश पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध भी लगाया गया है. 


चोरी छुपे धड़ले से अपना धंधा चमकाने में लगे
इतनी सतर्कता के बावजूद कुछ लोग चोरी छुपे धड़ले से अपना धंधा चमकाने में लगे हुए हैं. लाइसेंस बनाने के नाम पर यहां पर 4700 से लेकर 5000 तक की चपत लोगों को लगाई जा रही है. इस मामले में जब जिम्मेदार अधिकारियों से बात की गई तो उनका कहना है कि ऐसा कोई मामला अगर संज्ञान में आएगा तो ऐसे दलालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल दफ्तर में आने वाले लोगों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह अपना काम खुद कराने आए हैं उन्होंने किसी दलाल को कोई पैसा नहीं दिया है.


जीरो टॉलरेंस नीति को लेकर योगी सरकार तमाम भ्रष्टाचार विरोधी नीति बनाकर दावे करती रही है कि सरकारी कार्यालय में भ्रष्टाचार मुक्त हो चुका है. लेकिन जी मीडिया की पड़ताल में यह खुलासा हुआ कि बड़े-बड़े दावे करने वाले योगी सरकार बरेली के इन सरकारी कार्यालय में दलाल राज को खत्म नहीं कर पाई है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि योगी सरकार के सरकारी कार्यालय में दलाल राज आखिर कैसे खत्म होगा जिसमें दिन भर उपभोक्ताओं को दलाल और वहां बैठे अधिकारी नोचने के लिए बैठे हैं.


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