Bareilly News: दिल्ली के रामलीला मैदान में 24 नवंबर को प्रस्तावित "तहफ्फुज-ए-नामूस-ए-रिसालत कॉन्फ्रेंस" को लेकर राजनीतिक और धार्मिक वातावरण में गर्मी बढ़ गई है. बरेली के इत्तेहादे मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रज़ा ने इस कार्यक्रम की अनुमति रद्द किए जाने के बाद तीव्र नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने इस निर्णय को मुस्लिम विरोधी करार दिया और इसे सरकारी और प्रशासनिक भेदभाव का नतीजा बताया. उनके बयान अब एक बार फिर सुर्खियों में हैं.


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मौलाना तौकीर रज़ा का आक्रोश
दिल्ली पुलिस ने जब इस आयोजन की परमिशन रद्द कर दी, तो मौलाना तौकीर रज़ा ने तत्काल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस फैसले का विरोध किया. उन्होंने कहा कि उनके कार्यक्रम को इसलिए रोका जा रहा है क्योंकि यह अमन और इत्तेहाद (एकता) का प्रतीक है, जबकि उन कार्यक्रमों को अनुमति मिल रही है जो धार्मिक भेदभाव और नफरत फैलाते हैं. उनका यह बयान सरकार के खिलाफ एक खुली चुनौती जैसा था.


तौकीर रज़ा बोले...
तौकीर रज़ा ने कहा, "हम किसी भी हालात में कार्यक्रम को रद्द नहीं करेंगे." इसके बाद उन्होंने अपने समर्थकों से अपील की कि वे शांतिपूर्ण तरीके से रामलीला मैदान तक पहुंचे और इस आयोजन में भाग लें.


हनुमान चालीसा पाठ करने की घोषणा
हालाँकि, मौलाना ने अपने समर्थकों से शांति और अनुशासन बनाए रखने की अपील भी की. उन्होंने कहा कि वे तिरंगा लेकर रामलीला मैदान तक पहुंचें और "दुरूद शरीफ" पढ़ते हुए शांतिपूर्वक आंदोलन करें. यह स्थिति उस वक्त और भी गंभीर हो गई जब कुछ संगठनों ने रामलीला मैदान में हनुमान चालीसा पाठ करने की घोषणा की. इस पर मौलाना ने इसे जानबूझकर उकसाने वाली स्थिति बताया और कहा कि ऐसे कार्यक्रमों को किसी खास उद्देश्य के तहत आयोजित किया जा रहा है.


विवाद और विरोध
मौलाना तौकीर रज़ा के बयानों में भड़काऊ तत्व देखा जा सकता है. वे खुद को धार्मिक सम्मान और एकता का प्रतीक मानते हैं, लेकिन उनकी बयानबाजी को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं. उनके खिलाफ आरोप लगते रहे हैं कि वे धार्मिक मुद्दों को राजनीतिक रूप से भड़काने की कोशिश करते हैं. उनका यह कार्यक्रम भी विवादों के घेरे में आ चुका है, क्योंकि उनका कहना है कि यह धार्मिक असहिष्णुता और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ हो रही कथित गुस्ताखियों के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए है. 


अनुमति रद्द करने का कारण है सुरक्षा
दिल्ली पुलिस ने कार्यक्रम की अनुमति रद्द करने का कारण सुरक्षा को बताया है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है. ऐसे आयोजनों के दौरान अक्सर सार्वजनिक व्यवस्था और शांति बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो जाता है. मौलाना तौकीर रज़ा का कहना है कि उन्हें रोकना संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है, लेकिन सरकार और प्रशासन का यह तर्क है कि सुरक्षा कारणों से ऐसा कदम उठाना जरूरी है.


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