मऊ में मर गई इंसानियत! बेबस पति 50 किमी रिक्शा खींचकर बीवी का शव घर ले गया, नहीं मिली मदद
Mau News : पैसों के अभाव में आप लोगों क्या-क्या करते हुए देखा होगा. इनकी कहानी मऊ के गुलाबचंद्र की बेबसी और लाचारी के आगे छोटी पड़ सकती है.
प्रकाश पाण्डेय/मऊ: लाचारी और बेबसी इंसान को कहां तक पहुंचा सकती है इसका अंदाजा इस शख्स से लगाया जा सकता है. मऊ के दादनपुर के रहने वाले गुलाबचंद्र जैसी बेबसी शायद ही किसी ने देखी हो. पत्नी बीमारी हुई तो इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया. पैसों के अभाव में इलाज भी नहीं हो सका और पत्नी की मौत हो गई. शव 50 किलोमीटर दूर घर ले जाने के लिए पैसे नहीं मिले तो ठेले में पत्नी की डेड बॉडी रख गांव पहुंच गए. गुलाबचंद्र की बेबसी और लाचारी के आगे मानवता भी शून्य हो गई. मदद को कोई नहीं मिला तो यूपी पुलिस शव का अंतिम संस्कार करने के लिए अब आगे आई है. गुलाबचंद्र की बेबसी की कहानी सुनकर आपकी रूंट कांप जाएगी...
गुलाबचंद्र की बेबसी की कहानी....
दरअसल, घोसी कोतवाली के दादनपुर अहिरौली के रहने वाले गुलाबचंद्र मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते हैं. गुलाबचंद्र की पत्नी चंद्रमा देवी पिछले कई दिनों से बीमार चल रही थीं. गुलाबचंद्र पत्नी का इलाज कराने अस्पताल पहुंच गए. अस्पताल में ही इलाज के दौरान किसी ने झाड़ फूंक की सलाह दे दी. बुढ़ापे में पत्नी का साथ न छूटे इसलिए गुलाबचंद्र झाड़ फूंक के लिए बलिया पहुंच गए. वहां पर झाड़ फूंक के दौरान पत्नी चंद्रमा देवी की शनिवार को मौत हो गई.
50 किलोमीटर ठेला चलाकर गांव पहुंचे गुलाबचंद्र
गुलाबचंद्र के पास पत्नी की डेड बॉडी घर ले जाने के लिए पैसे नहीं थे. पत्नी का शव घर ले जा सकें, इसलिए उन्होंने कई लोगों से पैसे भी मांगे, लेकिन किसी ने मदद नहीं की. मदद न मिलने पर गुलाबचंद्र ने पत्नी का शव ठेले पर ले जाने की सोचे. गुलाबचंद्र शनिवार रात 12 बजे ही पत्नी का शव ठेले पर रखकर 50 किलोमीटर दूर घर के लिए रवाना हो गए. गांव में उन्हें ठेले पर शव ले जाते देख सवाल तो जरूर पूछते लेकिन मदद को किसी ने हाथ आगे नहीं बढ़ाया.
पत्नी का शव ठेले पर ले जाने का वीडियो वायरल
शनिवार रात को 12 बजे बलिया से चले गुलाबचंद्र पत्नी का शव ठेले पर लेकर अगले दिन सुबह 11 बजे पहुंचे. गुलाबचंद्र की ठेले पर शव ले जाने का किसी ने वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. वीडियो देख घोसी पुलिस उनके घर पहुंची और अब अंतिम संस्कार के लिए मदद का आश्वासन दिया है. अपनी पत्नी को खो चुके गुलाबचंद्र ने बताया कि उनकी चार संतानें हैं, लेकिन वह इस बुढ़ापे में अलग रहते हैं. वह ही मजदूरी करके अपना और अपनी पत्नी का भरण पोषण करते हुए बीमार पत्नी का उपचार करा रहे थे.
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