वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्थापक भारत रत्न मदन मोहन मालवीय पर विवादित टिप्पणी करने के मामले में वीसी प्रोफेसर राकेश भटनागर ने खेद प्रकट किया है. बीएचयू प्रशासन ने वीसी का स्पष्टीकरण जारी किया है. वीसी ने अपनी सफाई में कहा कि यदि उनके कथन से किसी को गलतफहमी हुई हो और भावना आहत हुई हो तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है. इसके लिए उन्हें खेद है.


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महामना पर टिप्पणी के बाद वीसी ने सफाई में क्या कहा?
महामना पर विवादित टिप्पणी को लेकर खड़े हुए विवाद के बाद प्रोफेसर राकेश भटनागर ने अपनी सफाई में लिखा, ''महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी द्वारा स्थापित काशी हिंदू विश्वविद्यालय मेरी कर्मभूमि है, जिसकी सेवा करने के लिए मैं पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ कार्य कर रहा हूं. महामना मालवीय जी मेरे प्रेरणास्रोत हैं और मैं उनके आदर्शों और मूल्यों का पालन करता हूं. महामना जी के प्रति मैं पूर्ण निष्ठा एवं सम्मान रखता हूं. वह न केवल हम सब के लिए पूज्यनीय हैं, बल्कि हम सभी के लिए मार्गदर्शन का स्रोत भी हैं और उनकी अवमानना का विचार भी किसी के मन में नहीं आ सकता. महामना के बारे में मेरे कथन से किसी को गलतफहमी हुई हो और उससे उनकी भावना आहत हुई है तो यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण व पीड़ादायक है.''


BHU कुलपति का ऑडियो वायरल, ''महामना आम के पेड़ लगा गए, रुपए के पेड़ भी लगाते तो...''


छात्रों से अस्पताल के ओपीडी में शुल्क नहीं वसूला जाएगा
वीसी की ओर से यह भी बताया गया है कि सर सुंदरलाल अस्पताल में छात्रों के लिए ओपीडी ओपेन रजिस्ट्रेशन​​ निशुल्क होगा. इससे जुड़ी जानकारी शीघ्र ही वेबसाइट पर जारी कर दी जाएगी. आपको बता दें कि सर सुंदरलाल अस्पताल के ओपीडी में पहले बीएचयू छात्रों को फ्री हेल्थ और जांच की सुविधा मिलती थी. कोरोना के कारण लागू हुए लॉकडाउन के बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों को दी जाने वाली इस सुविधा पर रोक लगा दी थी. छात्रों को ओपीडी में परामर्श के लिए 20 रुपए की पर्ची कटवानी पड़ रही थी. बीएचयू छात्रों ने इसका विरोध करते हुए वीसी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.


VC ने वायरल ऑडियो में महामना को लेकर क्या कहा था?
ओपीडी शुल्क के विरोध में प्रदर्शरत छात्रों के किसी प्रतिनिधि से बीएचयू कुलपति प्रोफेसर भटनागर की फोन पर हुई बातचीत का  ऑडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया था. इस ऑडियो में बीएचयू वीसी छात्र से कह रहे थे, ''महामनाजी आम के पेड़ तो लगा गए, अगर मेरे लिए कुछ रुपए के पेड़ लगा जाते तो हम सब कुछ फ्री कर देते. यूजीसी 60 करोड़ रुपए देती है और 66 करोड़ रुपए बिजली का बिल आ जाता है. घाटे की अर्थव्यवस्था है. अस्पताल बंद न हो, इसलिए छात्रों से चार्ज लिया जा रहा है. हमारे लिए बहुत बड़ी मजबूरी है. मैं भी पैसा देकर ही दिखाता हूं. 500 रुपया महीना मेरे तनख्वाह से कटता है.''


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