Chhawla Gang Rape Case: दिल्ली के छावला इलाके में 19 साल की उत्तराखंड की लड़की से गैंगरेप और हत्या करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने तीनों दोषियों को बरी कर दिया है. दोषियों को दिल्ली हाईकोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी. जिसको पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की रिहाई का आदेश दे दिया है. यह फैसला जस्टिस उदय उमेश ललित (UU Lalit), जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने सुनाया है. 


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क्या था पूरा मामला?
मामला 10 साल पहले का है. साल 2012 में उत्तराखंड के पौड़ी की रहने वाली 19 साल की लड़की देर शाम घर जा रही थी. तभी तीन रवि कुमार, राहुल और विनोद नाम के तीन युवकों ने उसका अपहरण कर लिया था. आरोपियों ने लड़की के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थी. आरोपियों ने लड़की से गैंगरेप किया. उसको कार में इस्तेमाल होने वाले औजारों से पीटा. इतना ही नहीं बल्कि उसके शरीर को जगह-जगह सिगरेट से दागा गया था. यहां तक कि उसके चेहरे को तेजाब से जला दिया था. जिससे लड़की की मौत हो गई थी. 


दोषियों ने फांसी की सजा वाले फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती
वहीं, परिजनों ने लापता बेटी की कई दिनों तक तलाश की, लेकिन उसका कोई पता नहीं लग सका. हालांकि, जांच में पुलिस को पता चला था कि कुछ लोग लड़की को गाड़ी में डालकर दिल्ली से बाहर ले जाते देखा गया था. इस मामले में निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी. इस फैसले को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था. तीनों दोषियों ने फांसी की सजा बरकरार रखने के हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए तीनों दोषियों को बरी कर दिया है.