देहरादून: त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री राहत कोष में आई राशि का ब्यौरा सार्वजनिक कर दिया है. कोराना से पैदा हुई विपरीत परिस्थितियों से पार पाने के लिए बने मुख्यमंत्री राहत कोष में अब तक 154 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त हुई है.


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गरीब तबके को राहत देने के लिए करीब 85 करोड़ रुपए खर्च भी हो चुके हैं. मुख्यमंत्री राहत कोष के फंड का आमतौर पर कोई ऑडिट नहीं होता लेकिन सरकार ने कोष के खर्च को देखने के लिए वित्त विभाग के एक अधिकारी को जिम्मेदारी देने का फैसला किया है.


1 रुपए में मिलेगा पानी का कनेक्शन
त्रिवेंद्र कैबिनट की अहम बैठक में प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट हर घर नल को भी मंजूरी दे दी गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के कनेक्शन के लिए अब सिर्फ 1 रुपए ही देना होगा. इस पूरी योजना में जो खर्च आएगा उसका 90% हिस्सा भारत सरकार खर्च करेगी और राज्य सरकार सिर्फ 10% ही खर्च करेगी. इस योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे 12 लाख परिवारों को फायदा मिलेगा. मुख्यमंत्री ने हाल ही में इसका ऐलान भी किया था.


एक हजार नर्सिंग स्टाफ की होगी भर्ती
उत्तराखंड कैबिनेट ने आज स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण फैसला लिया है. राज्य के अलग-अलग अस्पतालों में 4000 से ज्यादा नर्सिंग स्टाफ की आवश्यकता को देखते हुए मंत्रिमंडल ने 1000 पदों को पहले फेज में भरने के लिए सहमति दे दी है, जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी. इस भर्ती प्रक्रिया के बाद बाकी 3000 पदों पर भी भर्ती के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है.


अब बिन ब्याज के मिल सकेगा 3 लाख का लोन
उत्तराखंड सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कार्यों के लिए लिए जाने वाले बिना ब्याज के लोन की रकम को भी बढ़ा दिया है. अब ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि या दूसरे काम करने के लिए 3 लाख रुपए तक का लोन लिया जा सकता है. इस योजना का 3 लाख 60 हजार फायदा भी उठा चुके हैं.


क्लस्टर फार्मिंग पर हुआ बड़ा फैसला
राज्य मंत्रिमंडल ने एकीकृत आदेश कृषि ग्राम योजना को भी मंजूरी दे दी है. दरअसल, राज्य में 7 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती होती है, इसमें 54 फीसदी जमीन पहाड़ी क्षेत्र में और 46 फीसदी भूमि मैदानी क्षेत्र में है. इस योजना में राज्य के 95 ब्लॉक के 95 गांव का चयन किया जाना है. हर गांव में 100 किसानों का समूह क्लस्टर फार्मिंग करेगा. इसके लिए राज्य सरकार हर गांव को 15 लाख रुपए का रिवाल्विंग फंड उपलब्ध कराएगी. इसमें यह तय किया जाएगा कि किस क्लस्टर में कौन सी खेती ज्यादा बेहतर तरीके से हो सकती है. इस मॉडल प्रोजेक्ट के जरिए ही आने वाले समय में राज्य में नई कृषि नीति की नींव पढ़नी है. इस योजना में मनरेगा के जरिए भी पैसा उपलब्ध कराया जाएगा.


उधम सिंह नगर का होगा कायाकल्प
अमृतसर-कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के तहत भारत सरकार और राज्य सरकार मिलकर उधम सिंह नगर क्षेत्र के औद्योगिक विकास के लिए भी योजना बनाने पर मंत्रिमंडल ने आज फैसला लिया. इस महत्वाकांक्षी कॉरिडोर में उधम सिंह नगर भी पड़ रहा है, ये पहले से ही औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहा है. कोरिडोर की एक हजार एकड़ भूमि में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर योजना बना सकेंगे.