ओंकार सिंह/चित्रकूट: धार्मिक नगरी चित्रकूट में आज पितृ विसजर्नी अमावस्या मेला में लाखों लोगों ने यहां पहुंचकर मंदाकिनी गंगा में स्नान ध्यान किया है और अपने पितरों को जल तर्पण कर विदाई दी. ऐसी मान्यता है कि मंदाकिनी गंगा में प्रभु राम ने भी अपने पिता दशरथ का भी पिंडदान किया था. तभी से यह मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलती है. भारत मंदिर के महंत दिव्या जीवनदास ने जानकारी दी कि धार्मिक नगरी चित्रकूट में इस पितृ मोक्षदायनी अमावस्या का विशेष महत्व है जहां स्नान और पितरों को जल दर्पण से मोक्ष की प्राप्ति होती है. 


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पितरों की परिवार पर कृपा
भगवान राम ने भी अपने पिता दशरथ का राघव प्रयाग घाट चित्रकूट में पितृ विसर्जन किया था और पिंडदान किया था तभी से यहां लोग इस अमावस्या में लाखों की संख्या में पहुंचकर अपने पितरों को जल तर्पण करते हैं व मंदाकिनी स्नान के बाद कामदगिरि की परिक्रमा करते हैं. संत केशव बताते हैं कि धार्मिक नगरी चित्रकूट के साथ ही जलाशयों के किनारे पितरों को जल दर्पण किया जाता है. इन 15 दिनों में उनका श्राद्ध कार्य किया जाता है तो पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि पितृ पक्ष के इन 15 दिनों में लोग अपने पितरों को जल तर्पण करते हैं और पिंडदान करते हैं. श्राद्ध कर्म करने से पितरों की परिवार पर कृपा बनी रहती है.


बद्रीनाथ धाम में पितृविसर्जन
उत्तराखंड के चमोली में बद्रीनाथ धाम में पितृविसर्जन के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. देश-विदेश से यहां पर श्रद्धालु अपने पितरों के पिंडदान के लिए पहुंचे. बद्रीनाथ धाम की धार्मिक महत्ता को दर्शाते हुए, बीते दिनों चार रूसी विदेशी लोगों ने अपने पितरों का पिंडदान किया था. वहीं, आज 16 रूसी लोगों ने हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार ब्रह्म कपाल में पिंडदान किया.


पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंड 
मान्यता है कि बद्रीनाथ धाम में पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और दुबारा पिंडदान करने की आवश्यकता नहीं होती. पिंडदान की प्रक्रिया में श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंड (चावल और जल) को बद्रीनाथ धाम के ब्रह्म कपाल में अर्पित करते हैं। यह एक पवित्र और महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है. बद्रीनाथ धाम के पुजारी और अधिकारी श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं कर रहे हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्ता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि बद्रीनाथ धाम विश्वभर के श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।


हरिद्वार में भी सर्वपित्र अमावस्या पर पहुंचे श्रद्धालु
वहीं, हरिद्वार में भी सर्वपित्र अमावस्या के दिन लोग यहां पहुंचते रहे, जिससे भारी जाम की स्थिति बन गई. हाईवे पर रेंगते हुए वाहन देखे गए. अमावस्या के दिन भारी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे. कल नवरात्रि के पर्व के कारण भी गाड़ियों की आवाजही अधिक बनी हुई है. वहीं, आज के दिन पितरों की मुक्ति के लिए महत्वपूर्ण दिन माना जाता है इसलिए भारी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचते है.


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