CM योगी का विपक्षी पार्टियों पर निशाना, बोले- हम माफिया का मानमर्दन करते हैं, आप संरक्षण देते थे
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ``वे अपराधियों, माफियाओं को संरक्षण देते थे, हम उनका मानमर्दन करते हैं. हम तो गरीबों की जमीन पर कब्जा की गई हवेलियों को जमीदोंज करते हैं.``
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को एक बार फिर विपक्षी दलों को कठघरे में खड़ा किया. विकास कार्यों की समीक्षा बैठक निपटाने के बाद सीएम योगी ने अपने सरकारी आवास पर जौनपुर के मल्हनी विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव की तैयारियों के बारे में भाजपा प्रदेश पदाधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा की. इस दौरान मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा और विपक्ष पार्टियों में बड़ा फर्क है.
उन्होंने कहा, ''वे अपराधियों, माफियाओं को संरक्षण देते थे, हम उनका मानमर्दन करते हैं. हम तो गरीबों की जमीन पर कब्जा की गई हवेलियों को जमीदोंज करते हैं. हमारा कार्य न जाति, न क्षेत्र, न भाषा, न मजहब के अधार पर है. हमारा कार्य शासन की योजना 'सबका साथ सबका विकास' के आधार पर समाज के सभी लोगों को लाभ पहुंचाना है और इसको ही हम अपना लक्ष्य मानकर चल रहे हैं.''
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''भाजपा और अन्य दलों की सरकार में जमीन-आसमान का फर्क''
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का गला घोटने वाली, भाई-भतीजे के नाम पर सामाजिक ताने बाने को छिन्न-भिन्न करने वाली सोच को हमने काफी झेला है. इस सोच के लोग जब प्रदेश में माफिया के खिलाफ कार्रवाई होती है तो सबसे ज्यादा परेशानी होते हैं. यही लोग षड्यंत्र रच रहें, हमें इनके षड्यंत्र से डरना नहीं है. उन्होंने कहा, ''भाजपा और अन्य दलों की सरकार में जमीन-आसमान का फर्क है. उत्तर प्रदेश ने वह दौर भी देखा है जब अपराधी-माफिया राजनीतिक दलों की नीतियां तय करते थे. सत्ता इन्हें सिर-आंखों पर रखती थी, जिसकी बदौलत यह लोग खूब फले-फूले. गरीबों की जमीनों पर काबिज कर महल खड़ा कर लिए. पर अब यह सब नहीं चलेगा. यह नया उत्तर प्रदेश है, जो अपराधियों का मानमर्दन करता है.''
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विपक्ष की सोच जाति और मजहब तक सीमित है: मुख्यमंत्री योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ''कुछ लोग जिनकी सोच में ही विकास नहीं है, जिनकी सोच जाति, मजहब, धर्म और क्षेत्र तक सीमित है, जो पार्टी को परिवार की तरह चलाते हैं, अराजकता और भ्रष्टाचार जिनकी पहचान है, जिनके जमाने में विकास के 90 फीसद पैसे का बंदरबाट हो जाता था, उनको बिना भेदभाव के पूरी पारदर्शी के साथ हो रहे विकास के कार्य और गरीबों की खुशहाली रास नहीं आ रही है. लिहाजा वह समाज को बांटने का जाति और संप्रदाय का वही पुराना हथकंडा अपना रहे हैं. पर अब ऐसे लोगों की दाल अब गलने वाली नहीं. जनता सब जान चुकी है. लगातार उनको बता भी रही है. उपचुनाव में भी बताएगी.''
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