Amazon Rainforest News: एक छोटे विमान में कोलंबिया के हुईतोतो आदिवासी समुदाय के 4 बच्चे अपनी मां और दो अन्य वयस्क लोगों के साथ यात्रा कर रहे थे. एक मई 2023 को अमेज़न के घने जंगलों के बीच यह छोटा विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इसमें सवार सभी वयस्कों की मौत हो गई. इन चारों बच्चों की माँ की भी हादसे में मौत हो गयी. लेकिन इन चार बच्चों के न ही तो शव मिले और न ही आस पास के इलाके में इनका कुछ पता चला.  इन बच्चों की उम्र 1 साल, 4 साल, 9 साल और 13 साल है. ये चारों भाई बहन उस जंगल में खोये जो बेहद खतरनाक है यहाँ जहां पर जगुआर,  विषैले सांपों, और कई अन्य खतरनाक जानवरों का निवास है. 


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सेना का सर्च अभियान 
इन बच्चों को ढूंढने के लिए सेना के 150 जवान और  200 स्वयंसेवक  जुटे हुए थे. ये सब मिलकर 300 वर्ग किलोमीटर के एरिया में बच्चों को ढूंढ रहे थे. विमान से पूरे जंगल में  हुईतोतो आदिवासियों की भाषा में लिखी 10  हजार पर्चियां गिराई गई कि बड़े वाले दो बच्चे इन्हे पढ़ सकें. बच्चों की दादी को सेना अपने विमान में बिठाकर जंगल के ऊपर से स्पीकर्स से आवाज लगाती. बच्चों की दादी लगातार उनको हौसला देती कि तुम तक जल्दी ही पहुंचा जाएगा.   


खतरनाक जंगल में बच्चों ने क्या खाया पिया 
जिस इलाके में ये चारों भाई बहन खोए वो इतना डरवाना है कि चारों और केवल खतरनाक जानवर है. इसी बीच यहाँ एक तूफानी बारिश भी आई. एक साल के सबसे छोटे बच्चे सहित खुद का ध्यान रखने का काम सबसे बड़ी लड़की ने किया जो स्वयं 13 साल की है, बच्चों ने जंगल से ऐसे फल चुनकर खाये जो विषैले न हों. बच्चों ने जंगली कुत्तों से भी खुद को बचाये रखा. जरा सी चूक इन भाई बहनों पर बहुत भारी पड़ सकती थी.  ये आदिवासी बच्चे अपनी दादी सहित कई बुजुर्गों के साथ पाले गए हैं इसलिए यह जंगलों के बारे में काफी जानकारी रखते थे. यही जानकारी ऐसे बुरे समय में इनकी हिम्मत बनी. 


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सेना इन तक कैसे पहुंची
शुक्रवार 9 जून को कोलंबिया के घने जंगलों के बीच से सेना ने इन चारों बच्चों को सही सलामत ढूंढ निकाला. सेना से मीडिया की नजरों से दूर बच्चों का ढूंढने का काम जारी रखा. जंगल में छोटे बच्चों के पैरों के निशान, अधखाए जंगली फलों और कई अन्य संकेतों ने बचाव टीमों के बीच ये उम्मीद जगा दी  शायद ये बच्चे दुर्घटना के बाद जिन्दा बच गए थे और अभी भी आस पास ही हैं.खोज के दौरान एक झोपड़ी के पास एक दूध की बोलत मिली. अंदाज़ा लगाया जा रहा था कि ये झोपड़ी बच्चों ने बनाई होगी. एक बार तो सेना बच्चों से केवल 20  फुट की दूरी पर थी लेकिन बच्चों तक पहुँचने में कामयाब न हो सकी.  बच्चों तक पहुँचने में पूरे चालीस दिन का वक्त लगा. और अंत में बच्चे सही सलामत मिल गए. सेना के खोजी कुत्तों ने इसमें बहुत बड़ा योगदान दिया.  बहुत से आदिवासी मान रहे हैं की बच्चों की माँ की आत्मा ने बच्चों को बचाये रखा.


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