लखनऊ: उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ खंडपीठ में बुधवार को एक रिट याचिका दाखिल कर अयोध्या (Ayodhya) के धन्नीपुर गांव में मस्जिद बनाने के लिए यूपी सुन्नी सेंट्रेल वक्फ बोर्ड (UP Sunni Central Waqf Board) को आवंटित 5 एकड़ जमीन को विवादित बताया गया है. दिल्ली (Delhi) की रहने वाली दो महिलाओं ने ये याचिका दायर की. आठ फरवरी को इस पर सुनवाई होनी है. 


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जमीन पर जताया अपना हक, मुकद्ममा विचाराधीन
याचिका में दोनों महिलाओं ने आवंटित जमीन पर अपना हक होने का दावा किया है. याचिका में साथ ही यह भी कहा है कि उक्त 5 एकड़ की जमीन के संबंध में बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी के समक्ष एक मुकदमा विचाराधीन है.


बंटवारे के बाद माता-पिता फैजाबाद में बस गए
याचियों का कहना है कि बंटवारे के समय उनके माता-पिता पाकिस्तान (Pakistan) के पंजाब से आए थे. वे फैजाबाद (अब अयोध्या) जनपद में ही बस गए. बाद में उन्हें नजूल विभाग में ऑक्शनिस्ट के पद पर नौकरी भी मिली. उनके पिता ज्ञान चंद्र पंजाबी को 15 सौ 60 रुपये में 5 साल के लिए ग्राम धन्नीपुर, परगना मगलसी, तहसील सोहावल, जनपद फैजाबाद में लगभग 28 एकड़ जमीन का पट्टा दिया गया. पांच साल पश्चात भी उक्त जमीन याचियों के परिवार के ही उपयोग में रही और याचियों के पिता का नाम आसामी के तौर पर उक्त जमीन से सम्बंधित राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हो गया. हालांकि वर्ष 1998 में सोहावल एसडीएम द्वारा उनके पिता का नाम उक्त जमीन के सम्बंधित रिकॉर्ड से हटा दिया गया. 


याचियों की मां ने लड़ी लंबी लड़ाई
इसके विरुद्ध याचियों की मां ने अपर आयुक्त के यहां लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ी और फैसला उनके पक्ष में हुआ. याचियों का कहना है कि मुकद्मा अब तक विचाराधीन होने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा इसी जमीन में से पांच एकड़ जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को आवंटित कर दी गई है. याचियों ने आवंटन और उसके पहले की संपूर्ण प्रक्रिया को चुनौती दी है.


सुप्रीम कोर्ट के फैसले के  बाद जमीन आवंटित
बता दें कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में  सुप्रीम कोर्ट द्वारा 7 नवंबर 2019 को पारित निर्णय के अनुपालन में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के फैसले के बाद, सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या के धन्नीपुर गांव में मस्जिद के लिए जमीन आवंटित की.


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