देहरादून: उत्तराखंड में नैनीताल जिले का हल्द्वानी शहर हिंसा की जद में आ गया है. हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में अतिक्रमण हटाने का यह मामला इतना तूल पकड़ चुका है कि भीड़ उग्र गई और पूरे इलाके में अशांति फैल गई. मस्जिद-मदरसा पर बुलडोजर एक्शन व उपद्रवियों के बीच फंसा पूरा इलाका हिंसा की आग में जल उठा है. आइए जानते हैं कि मदरसे व मस्जिद को ध्वस्त किया गया क्या वो वैध थी? आखिर इस बुलडोजर एक्शन से पहले ढांचों को लेकर हाईकोर्ट ने क्या कहा था? इस पूरे मामले पर गौर करतें हैं. 


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बनभूलपुरा के बारे में 
नैनीताल जिले के हल्द्वानी ब्लॉक के तहत आने वाली जगह बनभूलपुरा की आबादी 50 से 60 हजार के बीच है जहां पर 80 फीसदी आबादी मुस्लिम है और बाकी हिन्दू व अन्य समुदाय के लोग रह रहे हैं. यहां हिन्दी, उर्दू के साथ गढ़वाली व कुमायूंनी भाषा बोला जाता है. यहां कई और तरह के भूमि अतिक्रमण से जुड़े विवाद पहले से चल रहे हैं. जैसे नजूल की भूमि पर लंबे समय से विवाद है. इसके अलावा हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास की बनभूलपुरा गफूर बस्ती में एक विवाद 29 एकड़ भूमि को लेकर भी है. रेलवे, राजस्व , वन, नगर निगम इसको अपनी जमीन बताता रहा है और कब्जेदार इसे खरीदी हुई अपनी जमीन बताते है. रेलवे की कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक मामले पर सुनवाई हुई है. हालांकि इस इलाके में फिलहाल, मदरसा व मस्जिद का मामला तूल पकड़ रहा है. 


अतिक्रमण हटाओ अभियान 
दरअसल, हल्द्वानी के बनभूलपुरा एरिया में 8 फरवरी, गुरुवार को एक मदरसा व मस्जिद पर नगर निगम ने बुलडोजर चलाया, निगम के इस एक्शन के बाद पूरे इलाके में हिंसा भड़क उठी. दरअसल, जिस मस्जिद पर निगम द्वारा बुलडोजर चलाया गया वो न केवल अवैध थी बल्कि प्रशासन ने पहले ही उस ढांचे को सील किया हुआ था. इस बारे में नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय की ओर से पुष्टि की जा चुकी है. आयुक्त के मुताबिक ध्वस्त मदरसा व मस्जिद अवैध थी. इन ढाचों इर्दगिर्द तीन एकड़ भूमि पर पहले ही नगर निगम ने कब्जा कायम किया और मदरसे व नमाज स्थल यानी मस्जिद को सील किया था. निगम ने गुरुवार को उसे अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत ध्वस्त कर दिया. 


हाईकोर्ट में मामला 
हल्द्वानी के बनभूलपुरा में यह मस्जिद स्थित है जिस पर बुलडोजर चला लेकिन इस कार्रवाई से पहले ही मामला हाईकोर्ट में जा चुका है. गुरुवार को बनभूलपुरा में मस्जिद व मदरसे को गिराने से रोकने की मांग वाली जनहित याचिका पर उत्तराखंड हाईकोर्ट के द्वारा सुनवाई की गई. मलिक कॉलोनी के रहने वाले साफिया मलिक व बाकियों की ओर से इस याचिका को दायर किया गया. दायर याचिका में हल्द्वानी नगर निगम द्वारा याचिकाकर्ताओं ने दिए गए नोटिस को चुनौती दी, लेकिन सुनवाई के समय न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की अवकाशकालीन पीठ ने किसी भी तरह की राहत प्रदान नहीं की. मस्जिद पक्ष को जब हाईकोर्ट ने किसी भी तरह की राहत नहीं दी तो फिर नगर निगम के द्वारा मस्जिद-मदरसे के विध्वंस की कार्रवाई की गई. वैसे मामले की अब अगली सुनवाई आने वाले 14 फरवरी को की जाएगी. 


भीड़ के उग्र होने की कहानी
दरअसल, ढांचों के ध्वस्त होने के दौरान ही अशांति फैला दी गई, हल्द्वानी नगर निगम ने बनभूलपुरा के इंदिरा नगर क्षेत्र में 8 फरवरी, गुरुवार को मलिक के बगीचे में निर्मित अवैध मदरसा और मस्जिद को ध्वस्त किया जिस पर स्थानीय लोगों भड़कने की बात कही जा रही है. इस दौरान पुलिसकर्मियों पर हमला करने, थाने पर हमला करने, पत्थरबाजी करने की बात भी कही गई. इस बुलडोजर एक्शन के वक्त नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय के अलावा सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह, उप जिलाधिकारी परितोष वर्मा के साथ ही वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. मस्जिद और मदरसे को जैसे ही ध्वस्त करना शुरू किया गया काफी संख्या में महिलाओं के समेत गुस्साए स्थानीय लोग विरोध में उतर आए और फिर देखते ही देखते सैकड़ों लोगों की भीड़ उग्र हो गई. मदरसे व मस्जिद को ध्वस्त किए जान के बाद भीड़ ने पुलिसकर्मियों, नगर निगम के कर्मचारियों और पत्रकारों को निशाना बनाया जिसमें खबर आने तक करीब 250 लोग घायल हुए. वहीं 4 लोगों की मौत की बात कही जा रही थी हालांकि नैनिताल डीएम वंदना सिंह ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में 2 लोगों की मौत की पुष्टि होने के बारे में बताया है. 


नैनीताल डीएम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में किए खुलासे 
नैनिताल डीएम वंदना सिंह ने बड़ा पर्दाफाश किया है और कहा कि पुलिस पर आसपास की छतों से पथराव किया गया व पेट्रोल बम से गाड़ियों में आग लगाई गई. जब नोटिस दिया गया था तब पत्‍थर कहीं नहीं थे. उन्होंने बताया कि सीसीटीवी से दंगाइयों की पहचान की जा रही है. पुलिस थाने के भीतर पुलिसवालों को जिंदा जलाने तक की कोशिश की गई. पुलिसवालों को थाने के अंदर से बाहर ही नहीं निकलने दिया गया. थाने के रिकॉर्ड रूम को भी जलाने की कोशिश की गई ताकि सारे रिकॉर्ड जला दिए जाएं.


अभी के हालात
दूसरे दिन की बात करें तो पूरा इलाका तनावपूर्ण बना हुआ है. घायलों में सबसे ज्यादा पुलिसवाले हैं. हल्द्वानी में बिगड़ते हालात को ध्यान में रखते हुए दंगाइयों को देखते ही सरकार ने गोली मारने का आदेश दे दिया है. हल्द्वानी की सभी दुकानें बंद की गई और शहर में कर्फ्यू लगा है. कक्षा 1-12 तक के सभी स्कूलों को बंद किया गया है और  भी बंद कर दिए गए हैं.  इलाके में प्रशासन की ओर से भारी संख्या में पुलिकर्मियों को तैनात किया गया है.


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