सुरेंद्र डसीला/रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड हाईकोर्ट के निर्देश के बाद जोशीमठ आपदा की रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई है. रिपोर्ट में जोशीमठ में नए निर्माण पर रोक लगाने को कहा गया है. रिपोर्ट में NTPC को क्लीन चिट दी गई है. नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश के बाद अलग-अलग आठ विभागों के वैज्ञानिकों की 718 पन्नों की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया है. उत्तराखंड के सचिव आपदा प्रबंधन डॉ रणजीत सिंह के मुताबिक 8 संस्थानों की 718 पन्नों की रिपोर्ट पर एनडीए में यानि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में 139 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की है.


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इन संस्थानों ने तैयार की रिपोर्ट
जोशीमठ में आई आपदा के लिए वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, आईआईटी रुड़की, एनजीआरआई हैदराबाद, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान और केंद्रीय वन अनुसंधान संस्थान के द्वारा पूरी रिपोर्ट तैयार की गई है. सचिव आपदा प्रबंधन डॉक्टर रंजीत सिंह ने बताया है कि जोशीमठ में अभी कोई भी नया निर्माण नहीं किया जाएगा. अभी भी वहां अध्ययन जारी है.


जोशीमठ से संबंधित रिपोर्ट के आधार पर लगभग 1800 करोड रुपये की सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है. 1464 करोड़ रुपए केंद्र और 336 करोड रुपए राज्य सरकार वहन करेगी. जोशीमठ में किए जाने वाले कामों के लिए डीपीआर बनाने का काम जारी है केंद्र से पैसा जारी होते ही काम शुरू कर दिया जाएगा.


आपदाग्रस्त क्षेत्र को जोन में बांटा गया
उत्तराखंड के सचिव आपदा प्रबंधन प्राधिकरण डॉ रणजीत सिंह ने कहा है की रिपोर्ट में जो तथ्य मिले हैं उसके आधार पर जोशीमठ के आपदाग्रस्त क्षेत्र को ब्लैक रेड येलो और ग्रीन में बांटा गया है. ब्लैक और रेड क्षेत्र को पूरी तरीके से हटाया जाएगा वहां पर कोई बसावट नहीं होगी. येलो क्षेत्र में निगरानी रखी जा रही है. अगर उसमें नुकसान बढ़ता है तो उसे रेट कैटेगरी में डाला जाएगा. ग्रीन क्षेत्र को फिलहाल सुरक्षित माना जा रहा है. इसके साथ ही एनटीपीसी से किसी भी तरह की नुकसान की पुष्टि नहीं है.


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एनटीपीसी को क्लीनचीट
रिपोर्ट के आधार पर एनटीपीसी को क्लीन चिट दी गई है. वैज्ञानिकों ने अलग-अलग जगह से पानी का सैंपल लिया है जो एनटीपीसी के टनल से मेल नहीं खाता है. जोशीमठ आपदा को लेकर अभी भी कई सवाल बने हुए हैं. आखिर जोशीमठ का भविष्य क्या होगा अभी ये भी नही पता है. जोशीमठ के लोगों को किस तरह से विस्थापित किया जाएगा इस पर ठोस नीति भी बनाने की जरूरत है.


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