मयंक राय/देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 (Uttarakhand Assembly Election 2022) को लेकर सूबे में सियासत का रंग चढ़ने लगा है.  वोटर्स को कैसे लुभाया जाए इसके लिए लिए बैठकों और यात्राओं का दौर शुरू हो चुका है. पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जन आशीर्वाद यात्रा के जरिए लोगों की नब्ज़ टटोलने की कोशिश की तो अब कांग्रेस (Congres) परिवर्तन यात्रा के नाम पर सियासी मूड भांपने की जुगत कर रही है.


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भाजपा ने अपने यात्रा का समापन जनपद उधमसिंहनगर से किया तो कांग्रेस 3 सितंबर को परिवर्तन यात्रा का श्री गणेश इसी जिले से करेगी. इस जिले के साथ ही यात्रा के अलगे चरण हरिद्वार और देहरादून होंगे. भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा भी इन्ही जिलों से होकर गुजरी थी. 


मैदानी क्षेत्रों में फोकस कर रहे राजनीतिक दल 
दरसअल, उत्तराखण्ड में हुए परिसीमन के बाद मैदानी जिलों में सीटों की संख्या खासी बढ़ चुकी है. 70 विधानसभा सीट वाले राज्य की राजनीति पहले पहाड़ से तय होती थी. लेकिन, अब हालात थोड़ा इतर हैं. मैदानी जिलों में किसानों की बड़ी संख्या है. खासकर जनपद उधमसिंहनगर जहां सिख समुदाय के लोग खेती करते हैं. हरिद्वार एवं देहरादून में खेती करने वाले ज्यादातर लोग इसी समुदाय से हैं.


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भाजपा ने कहा आपस में उलझे हुए हैं कांग्रेसी 
किसान आंदोलन का असर हमने इस राज्य में भी देखा है. ऐसे में राजनीतिक दलों की सबसे बड़ी कोशिश यही है कि किसी तरह इस बड़े वर्ग को साधा जा सके. नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह कहते हैं इस यात्रा के जरिए उनकी पार्टी भाजपा सरकार में आई तमाम तरह की दिक्कतों को जनता के बीच रखेगी. वहीं, जनपद उधमसिंहनगर के किच्छा से भाजपा विधायक राजेश शुक्ला की माने तो विपक्ष को इस यात्रा से कोई लाभ नहीं मिलने वाला. शुक्ला ने कहा कांग्रेसी कुनबा आपस मे ही उलझा हुआ है.


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बहरहाल, बैठकों एवं यात्राओं से ये तो तय हो चुका है कि आने वाले समय में राज्य के अंदर सियासी सर्गमियां और बढ़ने वाली हैं. लेकिन, देखना ये होगा कि इन यात्राओं एवं बैठकों के बीच सूबे की जनता किस तरफ रुख करती है.


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