सैलानियों का गढ़वाल के 52 गढ़ों से कराया जाएगा परिचय, सरकार उठाएगी जीर्णोद्धार का जिम्मा
History of Garhwal: कत्यूरियों ने 11वीं शताब्दी तक उत्तराखंड पर शासन किया. गढ़वाल में उनके विघटन से 52 गढ़ बने. बाद में 14वीं-15वीं शताब्दी में राजा अजय पाल ने 52 अलग-अलग गढ़ों को मिला दिया. जिसके बाद 300 वर्षों तक गढ़वाल एक राज्य बना रहा, जिसकी राजधानी श्रीनगर थी.
Uttarakhand News: उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में आने वाले सैलानियों को गढ़वाल के इतिहास से परिचित कराने का निर्णय लिया है. इस दिशा में सरकार सैलानियों को गढ़वाल के 52 गढ़ों से परिचित कराएगी. इस समय इन गढ़ों की स्थिति अच्छी नहीं है इसलिए सरकार ने इनके जीर्णोद्धार का जिम्मा उठाया है. एक ओर इसका उद्देश्य अपने अतीत का संरक्षण करना है तो वहीं दूसरी ओर पर्यटन को बढ़ावा देना है. इस दिशा में सरकार की ओर से गढ़वाल के अलग अलग जिलों के अफसरों से क्षेत्र में गढ़ों की स्थिति की रिपोर्ट मांगी गई है.
अफसरों से इनके इतिहास की डिटेल भी देने को कहा गया है. एक बार जानकारी मिल जाए तो सरकार जीर्णोद्धार और दूसरी सुविधाओं के विकास के लिए कार्य करेगी. विदित हो कि गढ़वाला का नाम गढ़वाला 52 गढ़ों के चलते पड़ा है. ये गढ़ अलग अलग इकाई के रूप में थे. गढ़ के राजा को गढ़पति कहते थे.
इन गढ़ों की पहचान 14वीं सदी तक रही . गढ़ों के अवशेष बचे हुए हैं जो अपना इतिहास बयां करते हैं. गढ़वाल के 52 गढ़ ये हैं-
चांदपुर, चौंदकोट, चौंडा, भरदार, नयाल, अजमीर, कांडा, नागपुर, गुजड़ू, लंगूरगढ़, देवलगढ़, लोदगढ़, बधाणगढ़, लोहबागढ़, दशोली, कोल्ली, रवाण, फल्याण, वागर, क्वीली, भरपूर, कुजणी, सिलगढ़, मुंगरा, रैका, मोल्या, उप्पू, नालागढ़, सांकरी, रामी, बिराल्टा, तोप, राणी, श्रीगुरू, कंडारा, धौनागढ़, रतनगढ़, एरासू, ईडिय़ा, बडियार, गढ़कोट, गड़तांग, वनगढ़, सावली, बदलपुर, संगेल, जौंट, जौंलपुर, चम्पा, डोडराकांरा, भुवना व लोदन गढ़.
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