Sawan 2024 : श्रावण मास और सनातन धर्म में उत्तराखंड देव भूमि में इन दिनो शिव भक्तों का कारवा चल रहा हैं. जहां भी देखो वहां लोग भगवान शिव की आराधना में लीन हैं और साथ ही शिव पर जलाभिषेक करने शिवालयों में पहुंच रहे हैं. ऐसी ही एक जगह है जिसे कोटी यानि करोड़ों शिवलिंगों का स्थान कोटेश्वर के नाम से जाना जाता है. 


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ये रुद्रप्रयाग जनपद के मुख्यालय अलकनंदा किनारे पर कोटेश्वर की गुफा में आपलिंग विराजमान है. इस जगह शिव के लिंगों की करोड़ों आकृतियां है, जिन्हें जलाभिषेक करने के लिए मां गंगा शिव को स्वयं सावन के महीने में गुफा में प्रवेश कर जलाभिषेक कर शांत मन से नीचे उतर आती हैं. ये हर साल सावन के महीने में होता है.


बताया जाता है कि भगवान शिव को एक लोटा जल, बेलपत्री, दूध, दही, घी,  धूप, दीप चढ़ाने से ही भगवान शिव प्रश्न हो जाते है और पुण्य की प्राप्ति लोगों को इस स्थान पर आकर मिल जाती है. सावन के महीने के अलावा लोग इस स्थान पर शादी, जप, तप और यज्ञ करने के लिए बारहों महीने दूर दूर से आते है. 


क्यों है खास
कहा जाता है कि जब भगवान शिव पांड़वों से छिपते हुए निकल रहे थे तो उन्होंने कोटेश्वर स्थित गुफा में कुछ देर विश्राम किया था. यह गुफा लगभग दस मीटर लंबी है जहां स्वयंभू शिवलिंग हैं. मान्यता है कि इन शिवलिंग पर सावन के महीने में चल चढ़ाने से भक्तों की सारी मनोकामना पूरी हो जाती है. निसंतान दंपती को भी संतान की प्राप्ति हो जाती है. 


यहां भगवान शिव कण-कण में विराजमान हैं. मंदिर के आस-पास देवी पार्वती, गणेश, हनुमान के साथ ही अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं. हर साल महाशिवरात्रि पर यहां हजारों भक्त पहुंचते हैं, जबकि सावन मास में हर दिन सैकड़ों भक्तों का ताता यहां लगता है और महारूद्राभिषेक सहित अन्य सभी पूजाएं की जाती हैं.


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