राम अनुज/ देहरादून: निकाय चुनाव को लेकर उत्तराखंड में लगातार सियासत तेज हो रही है. एक ओर सरकार दलीलें दे रही है कि निकाय चुनाव की तैयारी में परेशानी आ रही है तो वहीं दूसरी ओर सरकार ये भी कह रही है कि त्योहारों का सीजन शुरू होने जा रहा तो ऐसे में चुनाव करवा पाना संभव नहीं, दिवाली जैसे त्यौहार के समापन के बाद चुनाव होगा. 


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निकाय चुनाव को बढ़ाया गया
दरअसल, नवंबर 2023 में प्रदेश में निकाय चुनाव हो जाना चाहिए लेकिन 2 दिसंबर से नए बोर्ड के गठन का समय आ गया लेकिन सरकार ने हवाला दिया कि वोटिंग लिस्ट तैयार नहीं हो सकी  है जिसके कारण निकाय चुनाव को 6 महीने के लिए बढ़ाया गया है. लोकसभा के चुनाव 2024 में होने के कारण मार्च और अप्रैल में भी निकाय चुनाव नहीं हो सके. इस तरह इसका समय आगे बड़ता चला जा रहा है. ऐसे में सरकार ने एक बार फिर इसे लेकर कहा कि निर्वाचन मतदाता सूची तैयार नहीं हो पाई क्योंकि प्रदेश में लोकसभा के चुनाव थे. 


मामला कोर्ट में पहुंचा
वहीं, जब मामला कोर्ट में पहुंचा तो सरकार ने एक बार फिर हलफनामा दिया कि मतदाता सूची के साथ ही आरक्षण को भी डिसाइड नहीं किया जा सका है और ऐसी स्थिति में तीसरी बार प्रशासक के कार्यकाल को बढ़ाया गया है. अब शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने इस संबंध में कहा है कि आने वाले दिनों में त्योहारों का सीजन शुरू होने वाला है और ऐसी स्थिति में चुनाव करवाना नहीं संभव है. दिवाली के बाद ही चुनाव करवाए जा सकते हैं यानी दिसंबर तक अब प्रदेश में चुनाव के आसार तो नहां दिख रहे हैं. 


सरकार पर कांग्रेस का तंज 
दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने सरकार पर तंज कसा है कि बार-बार प्रशासकों के कार्यकाल को सरकार बढ़ा रही है. सरकार केवल बहाने कर रही है, वह चुनाव नहीं करवाना चाहती है. कांग्रेस पार्टी के प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी ने इस बारे में कहा कि जैसे सरकार अब त्योहारों का हवाला दे रही है उसी तरह सभी मौसम में त्योहार होते हैं आखिर त्योहारों के बहाने कब तक सरकार चुनाव टालेगी.


ऐसे में ध्यान देने वाली बात ये हैं कि निकाय चुनाव कब हो पाते हैं क्योंकि एक तरफ तो निकाय चुनाव को लेकर सरकार तैयारियों का हवाला दे रही है तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष सरकार के रवैया पर लगातर सवाल उठा रहा है.


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