Uttarakhand UCC: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून को लागू करने के लिए तैयारी यहां जोरों पर है. देहरादून स्थित UCC ऑफिस में पिछले तीन दिनों से 15 घंटे से ज्यादा काम हो रहा है. कमेटी के सभी मेंबर्स दिन रात रिपोर्ट तैयार करने में जुटे हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक, इस ड्राफ्ट में 400 से ज्यादा सेक्शन हो सकते हैं. पारंपरिक रीति रिवाज से छेड़छाड़ नहीं होगी. माना जा रहा है कि पूरा ड्राफ्ट महिला केंद्रित होगा. आइये जानते हैं ड्राफ्ट में क्या-क्या प्रावधान हो सकते हैं. 


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उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता तैयार करने के लिए दो लाख लोगों की प्रतिक्रिया और सुझाव मांगे गए थे. जिसके तहत प्रदेश में लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने, शादी का रजिस्ट्रेशन ना होने पर सरकारी सुविधाएं न देने, पति-पत्नी दोनों के पास तलाक के सामान अधिकार देने, बहुविवाह पर रोक जैसी कई बातों पर लोगों ने अपने सुझाव दिए. इसके अलावा लिव इन रिलेशनशिप के पंजीकरण की बात कही गई. इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए ड्राफ्ट में तैयार किया जा रहा है. 


लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण होगा अनिवार्य!
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, माना जा रहा है कि इस ड्राफ्ट में लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण अनिवार्य किया जा सकता है. लोगों ने सुझाव दिया कि अभी लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर कोई कानून नहीं है लेकिन इसे अवैध भी नहीं माना जाता है. यही वजह है कि ज्यादातर लोग अपने रिश्ते को ‘छिपाकर’ लिव इन में रहते हैं. लिव इन रिलेशनशिप पर ड्राफ्ट तैयार होने के बाद कपल्स के माता-पिता को जानकारी दी जाएगी. इसके अलावा ड्राफ्ट में शामिल जानकारी डिक्लेअर न करने पर सजा का प्रावधान होगा. 


कानूनी मुहर लगने पर रिश्ता छिपाकर नहीं रखना पड़ेगा
लिव इन को लेकर एक अधिकारी ने कहा कि अगर इस पर कानूनी मुहर लग जाएगी तो कपल्स को अपना रिश्ता छिपाकर नहीं रखना पड़ेगा. वे अपने आस-पास के लोगों के साथ बातचीत के दौरान सहज महसूस कर सकेंगे. वर्तमान में इस रिश्ते को कानूनी मान्यता न मिलने पर पड़ोसियों और समाज से ताने का डर सताता है. अधिकारी का यह भी मानना है कि लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन होने से दोनों भागीदार एक-दूसरे के प्रति अधिक जवाबदेह बनेंगे.


यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है? 
यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ है भारत के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक कानून. समान नागरिक संहिता एक सेक्यूलर यानी पंथनिरपेक्ष कानून होता है, जो सभी धर्मों के लोगों के लिये समान रूप से लागू होता है. आसान शब्दों में कहें तो अलग-अलग धर्मों के लिये अलग-अलग कानून का ना होना ही 'समान नागरिक संहिता' की मूल भावना है. यूनिफॉर्म सिविल कोड देश के सभी नागरिकों पर लागू होता है, फिर चाहे वो किसी भी धर्म या क्षेत्र से संबंधित हो. देश के संविधान में भी इसका उल्लेख है. संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता का जिक्र किया गया है. 


Uttarakhand UCC News: उत्तराखंड में मुस्लिमों की आबादी एक करोड़ से ज्यादा, क्या असर समान नागरिक संहिता से पड़ेगा