Justice Ranjana Prakash Desai: कौन हैं जस्टिस रंजना देसाई, रिकॉर्ड टाइम में तैयार कराई उत्तराखंड UCC बिल की ड्राफ्ट रिपोर्ट
Justice Ranjana Prakash Desai: उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता के लिए पुष्कर सिंह धामी सरकार ने जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में कमिटी का गठन किया था. इस पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की कमान सेवानिवृत न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई को सौंपी गई थी.
Justice Ranjana Prakash Desai: जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (Justice Ranjana Prakash Desai) की अध्यक्षता में समिति ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट सौंपा. सरकार ने UCC के लिए 27 मई 2022 को पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड के इस ड्राफ्ट को कानूनी जामा पहनाते हुए लागू किया गया तो उत्तराखंड ऐसा करने वाला पहला राज्य बन जाएगा. यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति में पांच सदस्यों को शामिल किया गया था. आइए जानते हैं इस कमिटी के सदस्यों में से एक सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई के बारे में.
रंजना प्रकाश देसाई को सौंपी गई थी कमान
पुष्कर सिंह धामी सरकार ने जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में कमिटी का गठन किया था. इस पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की कमान सेवानिवृत न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई को सौंपी गई थी. सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई साल 1973 में गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री पूरी करने के बाद कानूनी पेशे में आईं. उन्हें 1979 में बॉम्बे हाई कोर्ट में सरकारी वकील और फिर हाई कोर्ट में निवारक हिरासत मामलों के लिए विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था.
जानें कौन हैं रंजना देसाई
जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई का जन्म 30 अक्टूबर 1949 को हुआ था. साल 1970 में रंजना देसाई ने मुंबई के एल्फिंस्टन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद साल 1973 में गर्वनमेंट लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई पूरी की. रंजना देसाई सुप्रीम कोर्ट की जज रह चुकी हैं. 13 सितंबर 2011 को वो इस पद पर नियुक्त हुई थीं. उससे पहले देसाई बंबई हाईकोर्ट की जज थीं.
कॉमन सिविल कोड समिति की अध्यक्ष
उत्तराखंड सरकार ने कॉमन सिविल कोड लागू करने के लिए एक कमेटी बनाई है. जिसकी अध्यक्षता रंजना देसाई को सौंपी गई है. इस कमेटी में 5 सदस्य हैं. इसके अलावा रंजना देसाई ने जम्मू-कस्मीर परिसीमन आयोग की अगुवाई की थी. जिसने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों का परिसीमन किया था.
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन
सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन बनी. रंजना देसाई इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला हैं.
सुप्रीम कोर्ट में किया गया प्रमोट
साल 1996 में बॉम्बे हाई कोर्ट और 2011 में सुप्रीम कोर्ट में उन्हें प्रमोट किया गया. केंद्र सरकार ने उन्हें एक पैनल की सिफारिश करने के लिए गठित खोज समिति का अध्यक्ष बनाया. इसमें लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों को चुना जाना है. उन्होंने 6 मार्च 2020 में जम्मू और कश्मीर, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड के लिए परिसीमन आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्यभार संभाला.
दो उप-समितियां बनाई गई
विशेषज्ञ समिति की ओर से दो उप-समितियां बनाई गई. रिटायर्ड जस्टिस प्रमोद कोहली, मनु गौड़ और शत्रुघ्न सिंह के पहले पैनल कोड का मसौदा तैयार करने का भार दिया गया. दूसरी सब कमिटी में मनु गौर, शत्रुघ्न सिंह और डॉ. सुरेखा डंगवाल शामिल थे. उन्हें हितधारकों से सलाह करने की जिम्मेदारी दी गई थी. कमिटी ने नागरिक कानूनों से संबंधित विभिन्न आयोगों के सामने विभिन्न मामलों के साथ-साथ व्यक्तिगत और धार्मिक कानूनों और धार्मिक रीति-रिवाजों का भी अध्ययन किया. पैनल ने राज्य में एक्टिव सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया.
उत्तराखंड यूसीसी कमिटी के सदस्य
उत्तराखंड यूसीसी कमिटी की 5 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति में दो न्यायाधीश, रंजना देसाई, रिटायर्ड जस्टिस प्रमोद कोहली के साथ ही उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, समाजसेवी मनु गौड़ और दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल को शामिल किया गया था, ताकि राज्य के अनुरूप और प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यूसीसी मसौदा तैयार किया जा सके.
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने का वादा पूरा किया-धामी
मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि, विधान सभा चुनाव 2022 से पूर्व हमने उत्तराखण्ड राज्य की जनता से भारतीय जनता पार्टी के संकल्प के अनुरूप उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था. इसके साथ ही सीएम धामी ने कहा कि, अपने वादे के मुताबिक हमने सरकार गठन के तुरंत बाद ही पहली कैबिनेट की बैठक में ही समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया था और 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई.
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