सुरेंद्र डसीला/देहरादून: साल 2024 में उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू हो सकती है. समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट बनकर तैयार हो गया है. ड्राफ्ट कमेटी किसी भी दिन मुख्यमंत्री धामी को ड्राफ्ट सौंप सकती है. राम मंदिर के उद्घाटन के बाद राज्य सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुला सकती है. लोकसभा चुनाव से पहले  राज्य सरकार विधानसभा चुनाव का वादा पूरा करेगी. 27 जनवरी से 5 फरवरी के बीच विधानसभा का विशेष सत्र हो सकता है.


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नए साल में सौंपी जाएगी राज्य सरकार को रिपोर्ट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति नए साल में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप देगी. समिति ने पहले ही ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार होने के संकेत दिए हैं. जनवरी महीने के तीसरे हफ्ते में समिति का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है.


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नए साल पर उत्तराखंड को मिल सकते हैं 3 बड़े तोहफे
नए साल पर उत्तराखंड को  तीन बड़े तोहफे मिल सकते हैं. राज्य आंदोलन कार्यों, पार्टी के विधायकों और वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं को तोहफे दिए जा सकते हैं.  राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों के लिए सरकारी सेवा में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण बिल आगामी विधानसभा सत्र में लाया जा सकता है. कैबिनेट के खाली पद भी भरे जा सकते हैं. इसके अलावा संगठन के कार्यकर्ताओं को दायित्व दिए जा सकते हैं.


ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार
आपको बता दें कि जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति ने ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार कर ली है.  वहीं, इसी महीने समिति सरकार को रिपोर्ट सौंप सकती है. ऐसा कहा जा रहा है कि ड्राफ्ट रिपोर्ट मिलते ही प्रदेश सरकार समान नागरिक संहिता को लागू करने में देर नहीं करेगी. 


यूसीसी में हो सकते हैं ये खास प्रावधान
बेटियों की शादी की उम्र को लेकर भी Uniform Civil Code में बड़ा फैसला हो सकता है. महिलाओं के लिए विवाह की आयु बढ़ाकर 21 वर्ष की जा सकती है. लेकिन उत्तराखंड में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता के तहत किसी भी पुरुष और महिला को बहुविवाह करने की अनुमति नहीं होगी. विवाह पंजीकरण अनिवार्य हो सकता है. जो व्यक्ति अपनी शादी का पंजीकरण नहीं कराएंगे वे सरकारी सुविधाओं के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे. मसौदे में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भी सिफारिश हो सकती है.  यदि राज्य में किसी भी जाति समुदाय में दो से ज्यादा बच्चे होते हैं तो उसे चुनाव में वोटिंग के अधिकार से वंचित किया जाएगा.  इसके साथ एक प्रस्ताव यह भी है कि परिवार की बहू और दामाद को भी अपने ऊपर निर्भर बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी निभानी होगी. इसके साथ गोद ली जाने वाली संतानों के अधिकारों को लेकर भी बड़ा फैसला हो सकता है. मुस्लिम समाज में हलाला और इद्दत की रस्म है, जिसे यूसीसी लागू होने के बाद खत्म कर दिया जाएगा. यूसीसी के बाद तलाक के समान आधार लागू हो सकते हैं.


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