उत्तरकाशी में हजारों करोड़ खर्च कर क्यों बन रही सुरंग, क्यों है चारधाम यात्रा के लिए टर्निंग प्वाइंट
UttarKashi Silkyara Tunnel: उत्तराखंड में निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल बीते 12 नवंबर से चर्चा में है. इसकी वजह सुरंग में 41 मजदूरों का फंसना, इन सभी को 28 नवंबर को रेस्क्यू कर सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है. आइए जानते हैं इस टनल का निर्माण क्यों किया जा रहा है.
UttarKashi Silkyara Tunnel: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल बीते 12 नवंबर से चर्चा में है. वजह है मलबा ढहने से सुरंग में 41 मजदूरों का फंसना. इस सभी मजदूरों को 17 दिन बाद 28 नवंबर को रेस्क्यू कर सुरंग से सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है. इस टनल को बनाने के पीछे क्या उद्देश्य है और इसका निर्माण क्यों किया जा रहा है.आइए जानते हैं.
2018 में शुरू हुआ निर्माण
उत्तरकाशी में बन रही सिल्क्यारा टनल उत्तराखंड में चारधाम महामार्ग परियोजना का हिस्सा है. साल 2018 में चारधाम महामार्ग प्रोजेक्ट के तहत गंगोत्रो और यमुनोत्री को जोड़ने के लिए राडी पास क्षेत्र में सिल्क्यारा में 4,531 मीटर लंबी टू लेन सुरंग का निर्माण शुरू हुआ था. इस प्रोजक्ट पर राष्ट्रीय राजमार्ग और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास निगम लिमिटेड काम कर रहा है.
1383 करोड़ की है योजना
4,531 मीटर लंबी इस टनल का निर्माण सिलक्यारा से लेकर बड़कोट तक किया जाना है. बीते 5 साल में टनला का करीब 56 फीसदी काम पूरा हो चुका है. योजना के लिए करीब 1383 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली थी. योजना के 14 मई 2024 तक पूरे होने की उम्मीद है.
यात्रियों को होंगे फायदे
इस सुरंग के निर्माण से तीर्थयात्रियों को सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा. क्योंकि यह हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगा. इससे राष्ट्रीय राजमार्ग-134 (धरासु-बड़कोट-यमुनोत्री रोड) की 25.6 किमी हिम-स्खलन प्रभावित लंबाई घटकर 4.531 किलोमीटर रह जाएगी. जिसके परिणामस्वरूप यात्रा का वर्तमान समय 50 मिनट का दसवां हिस्सा यानी 5 मिनट रह जाएगा.
12 नवंबर को हुआ था सुरंग में हादसा
बता दें कि दिवाली के दिन 12 नवंबर 2023 सुबह करीब 5.30 बजे सुरंग में लैंडस्लाइड हुई. निर्माणाधीन सुरंग में धंसाव के चलते मलबा सुरंग पर आकर गिरा, जिसकी वजह से अंदर काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए. इसके बाद जिला प्रशासन ने बचाव अभियान शुरू किया. टनल में फंसे मजदूरों को एयर कंप्रेस्ड पाइप से ऑक्सीजन, खाने की आपूर्ति का इंतजाम किया गया. इसके बाद एनडीआरएफ समेत कई बचाव एजेंसी इस ऑपरेशन में शामिल हुईं. 17वें दिन सभी 41 मजदूरों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया.
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