लखनऊ : बच्चों में बढ़ रहे मधुमेह के खतरे को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. बेसिक शिक्षा द्वारा संचालित स्कूलों में बीमारी से पीड़ित छात्रों को इंसुलिन और ग्लूकोमीटर अपनी कक्षा में लेकर जाने की अनुमति देने का फैसला सरकार की ओर से लिया गया है. 


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जरूरतों को मुहैया कराने की इजाजत
उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देशों पर गौर करें तो डॉक्टरों के परामर्श के बेस पर मधुमेह से पीड़ित बच्चों को ब्लड शुगर का टेस्ट करने, इंसुलिन का इंजेक्शन देने, मध्य सुबह या मध्य दोपहर का नाश्ता लेने के साथ ही कई और तरह से देखभाल की जरूरत पड़ सकती है, ऐसे में शिक्षकों को एग्जाम के समय या आम दिनों में इस तरह के बच्चों की जरूरतों को मुहैया कराने की इजाजत होनी चाहिए।


अधिकारियों को निर्देशित
सरकार के बयान पर ध्यान दें तो राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण, भारत सरकार के दिए निर्देशों को पूरे उत्तर प्रदेश में लागू करने का फैसला किया गया है. बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा इस संबंध में सभी मंडलीय शिक्षा निदेशकों (बेसिक) और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भी निर्देशित कर दिया गया है. 


यूपी सरकार का निर्देश 
बाल संरक्षण एवं सुरक्षा के संबंध में उप्र सरकार ने निर्देश जारी किए हैं, जिसमें कहा गया कि मधुमेह से ग्रसित बच्चों को स्कूली परीक्षा या फिर किसी और परीक्षाओं के समय  छूट दी जा सकती है कि वे चीनी की गोली और टॉफी अपने साथ रखें. ये भी कहा गया कि‘ऐसे बच्चे परीक्षा कक्ष में अपनी दवाइयां, फल, नाश्ता या फिर पीने का पानी, बिस्कुट, मूंगफली आदि शिक्षक के पास रख सकते हैं जिससे कि जरुअत होने पर तुरंत इनका सेवन कर पाएं.’


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