लखीमपुर खीरी: पूर्व विधायक निरवेंद्र मिश्रा की मौत को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. जहां पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत की वजह हार्ट अटैक बताई गई है, वहीं विधायक के बेटे संजीव मिश्रा अपनी बात पर अड़े हैं कि पिता की हत्या ही हुई है. उन्होंने अब तक पिता का पार्थिव शरीर चिता पर नहीं रखा है. उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि जब तक पिता के कातिलों पर धारा 302 के तहत हत्या का दर्ज कर कार्यवाही नहीं होगी, तब तक वे पिता का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे. 


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आमरण अनशन के लिए खासे मशहूर


पूर्व विधायक निरवेंद्र कुमार साल 1989, 1991 में निर्दलीय और 1993 में समाजवादी पार्टी से निघासन विधानसभा से विधायक रहे. वे क्षेत्रीय जन समस्याओं को लेकर करीब 50 बार धरना प्रदर्शन और आमरण अनशन करने की वजह से चर्चाओं में रह चुके थे. विधायक रहते हुए बेलरायां रेलवे स्टेशन पर हजारों लोगों के साथ किए गए अनशन की विधानसभा में भी चर्चा हुई थी. 


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किस विवाद में गई पूर्व विधायक की जान?


जिस जमीन का विवाद सामने आया है, वह 30 साल पुराना है. जिस पर कब्जे को लेकर कई बार दोनों पक्ष आमने सामने हैं. पूर्व विधायक निरवेंद्र मिश्र ने पलिया के रहने वाले व्यापारी राधेश्याम गुप्ता को त्रिकोलिया बस अड्डे के पास साढ़े तीन एकड़ की जमीन बेची थी. पैमाइश में जमीन जब साढ़े चार एकड़ निकली, तो विवाद शुरू हो गया. विधायक साढ़े तीन एकड़ जमीन ही देना चाहते थे जबकि कारोबारी पूरी जमीन चाहता था. 


कौन हैं आरोपी?


इस मामले में अब तक 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है, जबकि 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इस घटना को लेकर ग्रामीणों में तनाव है. पूर्व विधायक के बेटे का आरोप है कि हमले में जब पूर्व विधायक जमीन गिर गए थे तो वहां मौजूद लोगों ने हमलावरों को पकड़ लिया. लेकिन पलिया सीओ कुलदीप कुकरेती ने मौके पर पहुंचकर हमलावरों को छुड़ा लिया.


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