नैनीताल: उत्तराखंड में कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही जंग के बीच एक अलग ही अफवाह सोशल मीडिया पर फैलाई जाने लगी कि सूबे के जंगल जल रहे हैं. शरारती तत्वों ने पिछले साल जंगलों में लगी आग की तस्वीरें भी वायरल कर दीं, जिसके बाद वन विभाग आग बबूला हो गया है.


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वन विभाग ने फेक न्यूज फैलाने वालों को सिखाएगा सबक 
सोशल मीडिया पर दिखाई दे रहीं जंगल में आग की झूठी खबरें देखकर वन विभाग भड़का हुआ है. विभाग के प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए डॉ पराग मधुकर धकाते को सोशल मीडिया प्रभारी बनाया है. डॉ धकाते अब इस प्रकार की भ्रामक खबरों को बेपर्दा करेंगे. सभी डीएफओ को आदेश जारी कर डॉ धकाते के संपर्क में रहने के निर्देश दिए गए हैं.
पीसीसीएफ (PCCF) जयराज का कहना है कि जंगल में आग लगने की अवधि में सोशल मीडिया पर विदेश के जंगलों की फ़ोटो को उत्तराखंड का बता दिया जाता है. ये बहुत ही आपत्तिजनक है. सोशल मीडिया में भ्रामक व आपत्तिजनक पोस्ट डाली जाती हैं और लोग इन पर विश्वास भी कर लेते हैं. 


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4 महीने तक होती है जंगल में आग की अवधि
उत्तराखंड में फॉरेस्ट फायर 15 फरवरी से 15 जून तक रहता है. हर साल फारेस्ट फायर को रोकने के लिए वन विभाग करोड़ों की धनराशि खर्च खर्च करता है. 2016 और 2019 में उत्तराखंड के जंगलो में भयानक आग भड़की थी जिससे करोड़ो की वन संपदा जलकर खाक हो गई. 2016 में लगी आग में 54 हजार हेक्टयर से अधिक वन खाक हो गए थे.


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इस साल कम हुई है जंगलों में आग की घटनाएं
पिछले सालों की तुलना में इस वर्ष जंगलो में आग की घटनाएं कम हुईं. फरवरी, मार्च, अप्रैल और मई में भी लगातार बारिश इसकी अहम वजह बनी. पिछले कई दिनों से तापमान में अचानक हुई बढ़ोत्तरी के बाद सोशल मीडिया में लागातर भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं. सोशल मीडिया प्रभारी बने डॉ पराग मधुकर धकाते ने कहा कि जो तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल की जा रही है वो उत्तराखंड की नही बल्कि अन्य देशों की हैं. वन विभाग जीपीएस (GPS) और सेटेलाइट के माध्यम से जंगलों पर पूरी नजर बनाए हुए है.


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