वाराणसी: गंगा कार्य योजना की शुरुआत होने के तीन दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद इस वर्ष नवंबर से पवित्र नदी में सीवेज का पानी नहीं जाएगा. गंगा नदी में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 14 जून 1986 को वाराणसी में गंगा कार्य योजना की शुरुआत की थी. नितिन गडकरी के तहत आने वाले गंगा पुनरूद्धार मंत्रालय और राष्ट्रीय गंगा स्वछता मिशन (एनएमसीजी) ने वाराणसी में सीवर के पानी के शोधन के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं. गौरतलब है कि वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है.


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एनएमसीजी के अधिकारियों ने बताया, ‘‘ रमना के नजदीक 50 एमएलडी सीवेज शोधन संयंत्र का काम करीब करीब पूरा हो गया है. उम्मीद है कि यह इस साल नवंबर तक पूरी तरह से चालू हो जाएगा और ‘अस्सी नाले’ से निकलने वाले पानी का शोधन करेगा .  इससे वाराणसी शहर के सीवर के गंदे पानी को गंगा में जाने से पूरी तरह से रोका जा सकेगा.’’


शहर से रोजाना करीब 30 करोड़ लीटर सीवर का पानी निकलता है. पिछले साल प्रधानमंत्री द्वारा दीनापुर में 140 एमएलडी सीवेज शोधन संयंत्र का उद्घाटन करने से सीवर के पानी का शोधन करने की क्षमता में इजाफा हुआ है. एनएमसीजी ने 36 घाटों की मरम्मत के लिए 11.73 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है जिनका काम इस साल जून तक पूरा होने की उम्मीद है. 


इनपुट भाषा से भी