उन्नाव: निर्भया केस के गुनहगारों को फांसी पर लटकाने से पहले गरुड़ पुराण सुनाने की तैयारी है. दोषियों को गरुड़ पुराण सुनाने के लिए उन्नाव के जेल सुधारक डॉक्टर प्रदीप रघुनंदन ने तिहाड़ जेल प्रशासन को पत्र लिखा है. गरुड़ पुराण सुनाने के पीछे मृत्यु के मानसिक भय से मुक्ति और आत्मा की सद्गति की आस्था का हवाला दिया गया है. जेल सुधारक प्रदीप रघुनंदन ने महानिदेशक तिहाड़ कारागार से इसकी अनुमति मांगी है. प्रदीप रघुनंदन की मानें तो उन्हें आश्वासन भी मिल चुका है. लेकिन अभी तक लिखित आदेश नहीं आया है. आदेश मिलते ही वो तिहाड़ जेल पहुंचेंगे.


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गौरतलब है कि, दिल्ली की निर्भया के दरिंदों को फांसी दिए जाने की तारीख मुकर्रर हो चुकी है. चारों गुनहगारों को 22 जनवरी को मृत्युदंड दिया जाना है. उससे पहले उन्नाव की जिला कारागार में जेल सुधारक प्रदीप रघुनंदन ने तिहाड़ जेल प्रशासन के सामने दोषियों को गरुड़ पुराण सुनाने का प्रस्ताव रखा है. जेल सुधारक प्रदीप रघुनंदन ने बताया कि हमने तिहाड़ जेल प्रशासन से मांग की है कि भारतीय धर्म के अनुसार जो व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त होता है, उसके मानसिक भय को समाप्त करने के लिए गरुड़ पुराण सुनाई जाने की व्यवस्था है. इस पुराण के 16 अध्याय हैं. 17 अध्याय में इसके महत्व के बारे में बताया गया है. पहले इसमें 17,000 श्लोक थे, अब वह घटकर 9,000 कर दिए गए हैं. कोशिश है कि, जो मानसिक प्रताड़ना व मानसिक भय उन चारों दोषियों के मन व मस्तिष्क में है, उसे दूर किया जाए.


मृत्यु के उपरांत आत्मा की शांति के लिए गरुड़ पुराण सुनाए जाने की व्यवस्था है. उन्होंने जो कर्म किया है उसके लिए भारतीय विधि व्यवस्था के तहत दंड सुनिश्चित किया जा चुका है. रीत रिवाज के अनुसार आत्मा पुनर्जन्म लेती है. ऐसे में पुनः इस तरह के आचरण ना आएं, ऐसी चीजों से बचाने के लिए गरुड़ पुराण सुनाया जाता है.


डॉक्टर प्रदीप रघुनंदन ने बताया कि उन्होंने डीजी कारागार संजीव गोयल को पत्र लिखा है. उन्होंने गंभीरता से विचार करने का आश्वासन भी दिया है. अधिकारियों ने बताया है कि होम मिनिस्ट्री से पत्राचार किया गया है. आदेश मिलते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. बताया गया कि गरुड़ पुराण के पाठ में 9 से 10 दिन का समय लगता है. लेकिन यहां मामला अलग है इसलिए 2 से 3 दिन में प्रकिया पूरी कर ली जाएगी.