Air Pollution: दिवाली से पहले दिल्ली-एनसीआर में ठंड के एहसास के साथ ही प्रदूषण अपनी पकड़ बढ़ाने लगा है. पिछले कई दिनों से दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरुग्राम में AQI 'बहुत खराब' श्रेणी में है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी CPCB के आंकड़ों की मानें को रविवार शाम चार बजे 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI 277 रिकॉर्ड किया गया और अब यहां के आंकड़े 300 के पार हो गए हैं. माना जा रहा है कि आने वाले दस दिनों तक दिल्ली-एनसीआर में रहने वालों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. आपको बता दें, इस बार 31 अक्टूबर को दिवाली का त्योहार है. इसके बाद प्रदूषण का स्तर पर तेजी से बढ़ने की उम्मीद है. 


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यूपी में क्या है हाल?
CPCB की मानें तो एनसीआर में सबसे अधिक प्रदूषित दिल्ली की हवा है. देश की राजधानी में एक्यूआई 300 के पार दर्ज किया गया, जोकि बहुत खराब श्रेणी है. वहीं, गाजियाबाद में 311, नोएडा में 288, वृंदावन 252, हापुड़ 228, बुलंदशहर 203, मेरठ 196, लखनऊ 173, मुरादाबाद 144, अलीगढ़ 128, एक्यूआई रहा. 


एक्यूआई कब कितना खतरनाक?
मानकों के मुताबिक, जब एक्यूआई 0 से 50 के बीच हो तो इसे ‘अच्छा’ माना जाता है. वहीं, अगर एक्यूआई 51 से 100 के बीच पहुंच जाए तो माना जाता है कि ये ‘संतोषजनक’ श्रेणी में है. इसके अलावा जब एक्यूआई 101 से ज्यादा हो जाए और 200 से कम रहे तो ‘मध्यम’ श्रेणी में माना जाता है, लेकिन वही अगर 201 से 300 के बीच हो जाए तो ये ‘खराब’ श्रेणी में पहुंच जाता है. इतना ही नहीं अगर एक्यूआई 301 से 400 के बीच होता है तो मान लिया जाता है कि ये ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है. वहीं, एक्यूआई 401 से 500 के बीच होने पर ‘गंभीर’ होता है.


क्यों बढ़ रहा है प्रदूषण?
रिपोर्ट्स की मानें तो प्रदूषण का स्तर दिल्ली-एनसीआर में तेजी से बढ़ रहा है. हर साल सर्दियों में दिल्लीवासियों को गंभीर प्रदूषण का सामना करना पड़ता है और इस साल भी स्थिति कुछ ऐसी ही रहने वाली है. इस स्थिति के पीछे कई कारण हैं. जिनमें हवा की कम गति, गिरता तापमान, उच्च नमी का स्तर और प्रदूषण कणों की उपस्थिति मुख्य हैं. ये संघनन के लिए सतह के रूप में काम करते हैं.


क्या करें और क्या ना करें?
जानकारों की मानें तो बढ़ते प्रदूषण से सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों और पांच साल से कम उम्र के बच्चों को होता है. ऐसे में प्रदूषण से बचाव के कई उपाय बताए गए हैं. जानकार कहते हैं कि जरूरत ना हो तो घर से बाहर ना निकलें और अगर निकलना पड़े एन-95 मास्क लगाएं. सांस, फेफड़े या दिल की बीमारी से पीड़ित लोग खासतौर पर ध्यान रखें और डॉक्टर के संपर्क में रहें. इसके अलावा खाना बनाने के लिए धुआं रहित साधनों का प्रयोग करें. अपनी गाड़ी की जगह पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें. अगर सांस लेने में या आंखों में जलन महसूस हो या फिर कोई और समस्या महसूस हो तो बिना देरी किए तत्काल प्रभाव से डॉक्टर से संपर्क करें. लापरवाही बिल्कुल भी ना करें.


इन राज्यों में कम जली पराली
नवीनतम अनुसंधान की मानें तो पराली जलाने की दर में पिछले सालों के मुकाबले इस साल कमी आई है. पिछले पांच सालों की बात करें तो पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में पराली जलाने की घटना में कमी आई है. शनिवार को सेटेलाइट से मिले आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब में पराली जलाने की 45, हरियाणा में 15 और उत्तर प्रदेश में 30 घटनाएं दर्ज हुईं. 15 सितंबर से 19 अक्टूबर के बीच पराली जलाने की कुल 2,733 घटनाएं दर्ज हुईं. इनमें से पंजाब में 1,393, हरियाणा में 642, उत्तर प्रदेश में 687 और दिल्ली में 11 मामले हैं.


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