Raksha Bandhan 2024: देश भर में भाई-बहन का त्योहार रक्षाबंधन मनाया जा रहा है. इस मौके पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में एक ऐसा गांव है जहां रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाता है. यहां राखी के पर्व को 'काला दिन' माना जाता है, इसलिए भाइयों की कलाई पर बहनें राखी नहीं बांधती हैं. इस गांव का नाम है मुरादनगर. जहां रक्षाबंधन पर भाइयों की कलाई सूनी रहती है. आखिर इसके पीछे क्या वजह है, आइए जानते हैं.


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सोनगढ़ था गांव का नाम 
इस गांव में रक्षाबंधन को काला दिवस मानने के पीछे वजह वर्षों पुरानी है. गांव के लोगों का मानना है कि यह दिन अपशकुन लाता है. कहा जाता है कि इस गांव में छाबड़िया गोत्र के चंद्रवंशी अहीर क्षत्रिय रहते हैं. राजस्थान के अलवर जिले से यहां आकर इन लोगों ने ठिकाना बनाया था और यह गांव बसाया था. पहले इस गांव का नाम सोनगढ़ हुआ करता था. 


तबाही से खत्म हुआ गांव
गांववालों के मुताबिक, कई सौ साल पहले राजस्थान से पृथ्वीराज चौहान के वंशज सोन सिंह यहां आए और हिंडन के किनारे रहने की जगह बनाई. मोहम्मद गोरी को जब इस बात का पता चला तो उसने कत्ल-ए-आम करने की ठानी. मोहम्मद गोरी ने कई हाथी भेजे और गांववासियों को हाथियों के पैरों तले कुचलवा दिया. गोरी द्वारा मचाई गई तबाही से पूरा गांव खत्म हो गया. बताया जाता है कि उस दिन रक्षाबंधन था. तब से ही सुराना गांव में रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाता. 


आज भी नहीं मनाया जाता त्योहार
गांव के बड़े बुजुर्गों ने आज तक रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया. वह अगली पीढ़ी को भी इस त्योहार और अपशकुन के बारे में बताते हैं. नई पीढ़ी ने कई बार परंपरा तोड़ते हुए रक्षाबंधन मनाने की कोशिश की. जिसके बाद परिवार में किसी ना किसी की मौत हो गई या परिवार में अचानक लोगों की तबीयत खराब होने लगी. जब ये घटनाएं बढ़ने लगीं तो बच्चों को फिर समझाया गया और राखी का त्योहार मनाने से मना किया गया. 


गांव वालों ने बताया कि रक्षाबंधन का त्योहार मनाने वाले लोगों ने कुलदेव से माफी मांगी और दोबारा त्योहार न मनाने की बात कही. स्थानीय निवासियों का मानना है कि सुराना गांव को श्राप मिला है. यही वजह है कि यहां पर बहन एक बार भी भाई को राखी बांध दे, तो गांव में समस्याएं आ जाती हैं. 


 


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