मेट्रो-बुलेट ट्रेन से क्यों बेहतर नमो भारत रैपिड रेल, स्पीड-किराया और यात्री सुविधाओं में नंबर वन

Namo Bharat Train: लंबे इंतजार के बाद पीएम मोदी 5 जनवरी को 13 कि.मी. लंबे न्यू अशोक नगर (दिल्ली)-साहिबाबाद नमो भारत कॉरिडोर का उद्घाटन कर रहे हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि नमो भारत ट्रेन (रैपिड रेल), दिल्ली के मेट्रो ट्रेन, मुंबई में चलने वाली मोनो रेल और आने वाले समय में चलने वाली बुलेट ट्रेन में क्या महत्वपूर्ण अंतर हैं.

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अब 40 मिनट में दिल्ली से मेरठ

5 जनवरी  रविवार को पहली बार दिल्ली रूट पर रैपिड रेल यानी नमो भारत चलने जा रही है. पीएम मोदी 13 कि.मी. लंबे  न्यू अशोक नगर (दिल्ली)-साहिबाबाद नमो भारत कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे. इस रूट से अब दिल्ली और मेरठ के बीच की दूरी केवल 40 मिनट में तय हो जाएगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रैपिड रेल यानी नमो भारत, मेट्रो ट्रेन, मोनो रेल और बुलेट ट्रेन में क्या-क्या अंतर होते हैं. 

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स्पीड का अंतर

रैपिड रेल 180 किमी प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से चलने के लिए डिजाइन की गई है.  वहीं मेट्रो ट्रेन की रफ्तार 80 किमी प्रति घंटा होती है, जो रैपिड रेल के मुकाबले काफी कम है. बुलेट ट्रेन इससे भी तेज होती है, जिसकी रफ्तार 280 किमी प्रति घंटे तक हो सकती है, जबकि मोनो रेल सबसे धीमी होती है, लगभग 30-40 किमी प्रति घंटा की  रफ्तार से चलती है.   

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उद्देश्य और दूरी

रैपिड रेल 100-250 किमी के इंटरसिटी रूट्स पर यात्रियों को तेज और सुविधाजनक यात्रा प्रदान करती है. मेट्रो शहरी क्षेत्रों में 20-50 किमी तक की दूरी पर चलती है. मोनो रेल छोटी और घनी आबादी वाले क्षेत्रों के लिए डिज़ाइन की गई है, जबकि बुलेट ट्रेन लंबी दूरी (400-600 किमी) के लिए हाई-स्पीड विकल्प है.  

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कोच की डिजाइन और सुविधाएं

रैपिड रेल में फ्री वाई-फाई, मोबाइल चार्जिंग पॉइंट्स, और सामान रखने के लिए विशेष स्पेस जैसी सुविधाएं हैं. मेट्रो ट्रेन में इन सुविधाओं का अभाव होता है और यह सामान्य यात्रियों के लिए डिज़ाइन की गई है. बुलेट ट्रेन में अत्याधुनिक तकनीक, लक्ज़री सीट्स और अत्यधिक आरामदायक कोच होते हैं, जबकि मोनो रेल में सुविधाएं  बहुत सीमित रहती हैं.  

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टिकटिंग और एंट्री सिस्टम

रैपिड रेल डिजिटल क्यूआर कोड और पेपर टिकट्स का इस्तेमाल करती है. मेट्रो में स्मार्ट कार्ड, टोकन और ऐप आधारित टिकट सिस्टम होता है. मोनो रेल और बुलेट ट्रेन की टिकटिंग प्रणाली उनकी सीमित क्षमताओं के अनुरूप होती है.  

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यात्री क्षमता और कोच संख्या

रैपिड रेल में बड़े कोच होते हैं और यह अधिक यात्रियों को संभाल सकती है. मेट्रो में आमतौर पर 6 से 9 कोच होते हैं, जबकि मोनो रेल में केवल 4 कोच होते हैं. बुलेट ट्रेन की क्षमता रैपिड और मेट्रो के मुकाबले काफी अधिक होती है. 

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इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रैक डिजाइन

रैपिड रेल डेडिकेटेड ट्रैक पर चलती है और इसका नेटवर्क शहरी और इंटरसिटी कनेक्टिविटी के लिए उपयुक्त है. मेट्रो ट्रेन एलिवेटेड या अंडरग्राउंड ट्रैक पर चलती है, जबकि मोनो रेल सिंगल पटरी पर चलती है. बुलेट ट्रेन हाई-स्पीड कॉरिडोर पर चलती है, जिसे खासतौर पर डिज़ाइन किया जाता है.

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लागत और निर्माण समय

रैपिड रेल का निर्माण लागत और समय मेट्रो से अधिक लेकिन बुलेट ट्रेन से कम होता है. मोनो रेल का निर्माण कम खर्चीला है लेकिन इसकी उपयोगिता और सुविधाएं भी सीमित है.  बुलेट ट्रेन का निर्माण सबसे महंगा और समय लेने वाला होता है.

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उपयोगिता और प्राथमिकता

रैपिड रेल उन यात्रियों के लिए है जो शहरों के बीच तेज और सुविधाजनक यात्रा चाहते हैं. मेट्रो ट्रेन शहरी ट्रैफिक को कम करने और रोजाना यात्रियों को सुगमता प्रदान करने के लिए उपयोगी है जबकि बुलेट ट्रेन लंबी दूरी के यात्रियों के लिए सबसे अच्छा विकल्प है, जबकि मोनो रेल का उपयोग कम दूरी और विशेष क्षेत्रों में होता है.   

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Disclaimer

लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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