नई दिल्लीः कोरोना महामारी के बीच साल 2021 में होने जा रहा हरिद्वार कुंभ मेला (Haridwar Kumbh Mela)  इस बार मार्च से अप्रैल के बीच 48 दिन का होगा. सरकार फरवरी के आखिर में मेला की विधिवत अधिसूचना जारी करेगी. 2021 का कुंभ मेला 11 साल के अंतराल के बाद हरिद्वार में आयोजित होने जा रहा है. ये आखिरी बार साल 2010 में आयोजित किया गया था.


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कुंभ मेले का श्रीगणेश मकर संक्रांति से हो जाएगा
धर्मनगरी हरिद्वार पर धीरे-धीरे कुंभ मेले की रंगत चढ़ती जा रही है. इन दिनों हरिद्वार श्रृद्धालुओं के आकर्षण  का केंद्र बना हुआ है. हरिद्वार कुंभ मेले का श्रीगणेश अगले महीने 14 जनवरी को पड़ रही मकर संक्रांति के पर्व से हो जाएगा. 


12 साल बाद कुंभ और 6 साल बाद अर्द्धकुंभ
दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए करोड़ों लोग तैयार है. हालांकि इस बार का कुंभ, कोरोना महामारी के कारण अलग होगा.हरिद्वार में हर 12 साल बाद कुंभ और छह साल बाद अर्द्धकुंभ लगता है. पहली बार शाही स्नान में चुनिंदा संत शामिल होंगे.


कुंभ में स्नान करने के लिए उमड़ता है जनसैलाब
कुंभ पर्व पर जीवनदायिनी मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर आचमन करने का साधु-संत और श्रद्धालुओं को बेसब्री से इंतजार रहता है. पौराणिक मान्यता है कि कुंभ में गंगा स्नान करने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष मिलता है. यही कारण है कि कुंभ मेले में संगम तट पर डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है.


NSG और पैरामिल्ट्री के जवान करेंगे सुरक्षा
कुंभ की तारीख नजदीक आने के साथ ही भारत सरकार ने मेले में सुरक्षा के लिए 40 कंपनी पैरामिल्ट्री का आवंटन कर दिया है. जानकारी के मुताबिक 1 जनवरी को पांच पैरामिल्ट्री कंपनी हरिद्वार पहुंच जाएंगी. एनएसजी(NSG) और पैरामिल्ट्री के स्नाइपर्स कुंभ की निगहबानी करेंगे. किसी भी आतंकी घटना को नाकाम करने के लिए बम डिस्पोजल स्क्वायड और एंटी माइनिंग टीम का भी आवंटन हो गया है।


कोविड-19 के दौर में पहला बड़ा धार्मिक आयोजन
12 साल में होने वाला हरिद्वार महाकुंभ (haridwar mahakumbh 2021) इस बार 11वें साल यानी साल 2021 में होने जा रहा है. मेष राशि में सूर्य और कुंभ राशि में बृहस्पति आने पर महाकुंभ होता है. साल 2022 में बृहस्पति कुंभ राशि में नहीं रहेंगे. इसलिए इस बार आयोजन (mahakumbh 2021) एक साल पहले हो रहा है.कोविड-19 महामारी के दौर में ये पहला बड़ा धार्मिक समागम होगा.


सामान्य घाटों के साथ प्राकृतिक घाट होंगे इस्तेमाल
श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग से स्नान कराने के लिए पहली बार सामान्य घाटों के साथ कृत्रिम घाट इस्तेमाल होंगे. प्लास्टिक से तैयार इन घाटों पर डीप वाटर बैरिकेडिंग की जा रही है. अब तक बाहरी श्रद्धालु 50 से अधिक घाटों पर स्नान करते आए हैं. इस बार गंगा नहर के घाटों पर भी स्नान कराया जायेगा. पहली बार शाही स्नान में चुनिंदा संत शामिल होंगे.


श्रद्धालुओं का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन
पहली बार श्रद्धालुओं को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन (Online Ragistration) कराना होगा. मेले में प्रवेश से पहले एंटीजन टेस्ट पर विचार किया जा रहा है. ऐसे में गंगा में डुबकी से पहले कोविड-19 निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी. इस बार कुंभ मेला 48 दिनों का होगा.


अलग अलग चरणों में हरिद्वार पहुंचेंगी पैरामिल्ट्री
भारत सरकार ने 40 कंपनी पैरामिल्टी का आवंटन कर दिया है. इनमें एसएसबी की सात, सीआरपीएफ की 10, बीएसएफ की 10, सीआईएसएफ की सात और आईटीबीपी की छह कंपनियां शामिल हैं. बताया कि पैरामिल्ट्री की कंपनियां चार अलग अलग चरणों में हरिद्वार पहुंचेंगी.


भारतीय रेलवे ने किया बड़ा प्लान तैयार
भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने कुंभ को ध्यान में रखते हुए रेल यात्रियों के लिए बड़ा प्लान तैयार किया है. रेल यात्रियों के कुंभ को ध्यान में रखते हुए 35 स्पेशल ट्रेन चलाई जाएंगी. वहीं हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर भीड़ को कंट्रोल (control the crowd) करने के लिए मेला कंट्रोल सिस्टम भी तैयार किया गया है.


भारतीय रेलवे ने कुंभ को ध्यान में रखते हुए रेल यात्रियों के लिए बड़ा प्लान तैयार किया है. रेल यात्रियों के कुंभ को ध्यान में रखते हुए 35 स्पेशल ट्रेन (35 special trains) चलाई जाएंगी. वहीं हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर भीड़ को कंट्रोल (control the crowd) करने के लिए मेला कंट्रोल सिस्टम भी तैयार किया गया है.


धर्मनगरी में 60 स्थायी पुल
बता दें कि आस्था पर्वों ने धर्मनगरी को 60 स्थायी पुल दिए हैं. इसीलिए कुंभ नगरी को पुलों की नगरी भी कहा जाता है. कुंभ मेलों के दौरान अनेक अस्थायी पुल भी बनाए जाते हैं, जिन्हें स्नान पर्व के बाद हटा दिया जाता है.


धुल जाते हैं सभी पाप, मिलता है मोक्ष
हिंदू धार्मिक आयोजनों में से एक कुंभ मेला 12 सालों के दौरान चार बार आयोजित किया जाता है. मेला स्थल पवित्र नदियों वाले चार तीर्थ स्थानों के बीच बदलता रहता है—हरिद्वार में गंगा नदी पर, उज्जैन में शिप्रा के तट पर, नासिक में गोदावरी और प्रयागराज में गंगा, जमुना और सरस्वती के संगम पर इसका आयोजन होता है. ऐसी मान्यता है कि कुंभ मेले के दौरान गंगा में डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति के लिए यह सबसे शुभ समय होता है.


 


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