नैनीताल: देशव्यापी लॉकडाउन में भले ही लोगों को दिक्कतें हो रही हो लेकिन इसका सदुपयोग कैसे किया जा सकता है इसकी एक बानगी नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर क्षेत्र में दिखाई दी जहां एक काश्तकार ने लॉकडाउन का सदुपयोग कर सेब का विशालकाय बगीचा तैयार कर लिया. धारी विकासखंड के गजार गांव के देवेंद्र बिष्ट ने लॉकडाउन दौरान अपने परिवार के साथ मिलकर एक एप्पल ऑर्चर्ड तैयार किया है.


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हाई डेंसिटी तकनीक से तैयार किया गया ये बगीचा
देवेंद्र सिंह बिष्ट ने 25 दिनों के अंदर करीब 1 हजार सेब के पेड़ों का विशालकाय बगीचा तैयार किया है. उनका कहना है कि अगर लॉकडाउन नहीं होता तो परिवार के सदस्य भी अलग-अलग होते और बगीचा तैयार करने में काफी समय लग जाता. देवेंद्र बिष्ट ने बताया कि पहले उनके बगीचे में आडू, पुलम,खुमानी के पेड़ हुआ करते थे और बाकी जगह  बंजर हुआ करती थी. 


देवेंद्र बिष्ट ने बताया कि मुख्यमंत्री उद्यान संरक्षित योजना के तहत उनका चयन हुआ था जिसमें उन्हें केवल 2 लाख 40 हजार देने पड़े और बाकी 9 लाख 60 हजार धनराशि राज्य सरकार दे रही है. 


जहां हाई डेंसिटी तकनीक से यूरोप,अमेरिका,चीन और ऑस्ट्रेलिया में सेब की खेती की जाती है वहीं अब हिमाचंल और जम्मू कश्मीर में भी काश्तकार इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. देवेंद्र सिंह ने भी इस एप्पल ऑर्चर्ड में हाई डेंसिटी तकनीक से रेड ब्लॉक्स,सुपर चीफ,रेडलम गाला,किंग रॉड प्रजाति के सेब लगाए है जो अगले साल फल देंगे.


बेटियां भी जुट गई बगीचों बनाने के काम में
देवेंद्र ने बताया कि इस काम में उनकी बेटियां भी जुड़ गई जो कभी खेतों की तरफ कम जाया करती थी. दरअसल लॉकडाउन के कारण विश्वविद्यालय और कॉलेज भी बंद है और उनकी बेटियां भी नैनीताल और हल्द्वानी में पढ़ाई करती हैं


पहाड़ में बड़ी संख्या में ग्रामीण बंजर खेतों को आबाद करने में जुटे
नैनीताल जिले के धारी,भीमताल,रामगढ़ क्षेत्र में कई गांवों में बंजर खेत भी आबाद हो गए हैं. पूर्व ब्लॉक प्रमुख शांति बिष्ट ने बताया कि लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में जो लोग शहरों में थे वे अपने गांवो की तरफ लौट आये हैं और आलू, मटर, बीन की सब्जियों के साथ ही सेब,आडू, पुलम के बगीचों की देखभाल कर रहे हैं. 


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