नई दिल्ली: जो काम बड़ो की नसीहत और डॉक्टरों की सलाह न कर पाई, वो काम कोरोना वायरस ने कर दिखाया है. पिछले 9 महीने से पूरे देश में कोरोना का डर जिस तरह से फैला हुआ है, उसने लोगों की दिनचर्या और जीवनशैली को बदलकर रख दिया है. कुछ नकारात्मक तो काफी सारे सरकारात्मक परिवर्तन हमारी जीवनशैली में देखने को मिले हैं. देश के सर्वोच्च मेडिकल संस्थान एम्स में की गई एक स्टडी बताती है कि कोरोना वायरस के चलते लोगों की खाने -पीने की आदतें काफी सुधर गई हैं.


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43 फीसदी लोगों ने छोड़ दिया जंक फूड 
इस स्टडी में सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा ये है कि स्टडी में शामिल किए गए 43.8 फीसदी लोगों ने माना कि कोविड संक्रमण होने की डर की वजह से उन्होंने जंक फूड खाना छोड़ दिया. पहले ये लोग घर के बाहर से पैकेज्ड फूड लेते थे. इसमें मिलने वाले अधिक तेल और वसा वाला खाना भी खूब खाते थे. लेकिन अब कोरोना के डर की वजह से उन्होंने ये छोड़ दिया है. 25 फीसदी लोगों ने घर के बने खाने को तरजीह देना शुरू कर दिया, जबकि 23 फीसदी लोगों ने पार्टी और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में खाना कम दिया.


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जंक फूड छोड़ा, फिर भी बढ़ा वजन 
स्टडी कहती है कि कोरोना काल में लोगों के खाने की आदत में काफी सुधार हुआ है. फिर भी शारिरिक गतिविधियों में कमी, मोबाइल और टीवी पर ज्यादा समय बिताने के चलते उनका वजन बढ़ा. वर्क फ्रॉम होम और तनाव का स्तर भी बढ़ने वजन पर प्रभाव पड़ा.  एम्स के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर और शोधकर्ता डॉक्टर पीयूष रंजन के मुताबिक शोध में ये भी सामने आया कि अधिकतर लोगों ने मोबाइल और टीवी स्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल किया.


995 लोगों पर हुआ सर्वे 


ये शोध एम्स के मेडिसिन विभाग की ओर से 995 लोगों पर किया गया है. शोध में 15 से 30 अगस्त के बीच देश के अलग-अलग शहरों में रहने वाले लोगों को शामिल किया गया.


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तनाव और डिप्रेशन बढ़ा 
कोरोना काल में बीमारी होने का डर तनाव की सबसे बड़ी वजह रहा है. वहीं इस दौरान अकेलापन लोगों में अवसाद की दूसरी सबसे बड़ी वजह के रूप में सामने आया है. आर्थिक नुकसान और परिजनों की चिंता तनाव की तीसरी सबसे बड़ी वजह रहा है. सर्वे में शामिल 23 फीसदी लोगों में परिजनों की चिंता से तनाव बढ़ा. वहीं, 18 फीसदी लोग अकेलेपन की वजह से तनाव में आ गए इसके अलावा 14 फीसदी लोगों ने आर्थिक नुकसान को तनाव की वजह बताया.  


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