100 साल का संघर्ष और दर्जनों कुर्बानी, जानें उत्तराखंड को अलग राज्य का दर्जा मिलने की कहानी
भारत की देवभूमि कहा जाने वाला उत्तराखंड कभी उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था. और इसके अलग राज्य बनने सफर उतना आसान नहीं रहा जैसा बाहरी लोगों को लगता होगा. इसके लिए उत्तराखंड वासियों ने करीब 100 साल संघर्ष किया. क्या है ये कहानी आइये आपको बताते हैं.
Uttarakhand Foundation Day: उत्तराखंड 24 साल पुराना हो गया है. 9 नवंबर वर्ष 2000 को इसे उत्तर प्रदेश से अलग कर एक नया राज्य घोषित किया गया. उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग करने के पीछे आर्थिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक और कई तरह के कारण रहे. इस पहाड़ी राज्य की अपनी एक अलग पहचान मिले इसके लिए करीब सौ साल का संघर्ष चला और 40 से ज्यादा लोग इस संघर्ष में शहीद हुए. उत्तराखंड का अलग राज्य बनने का सफर उतना आसान नहीं था जितना आज हमें लगता है. इस पहाड़ी राज्य की पहचान को हासिल करने के लिए 42 लोगों ने अपनी जान कुर्बान की और हजारों-लाखों ने सालों तक आंदोलन किए.
पहली बार ब्रिटिश राज में उठी थी अलग राज्य की मांग
सुनने में हैरानी हो सकती है, लेकिन उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने की मांग सबसे पहले 1897 में उठी थी, जब ब्रिटिश हुकूमत का दौर था. तब के समय में पहाड़ी लोगों ने महारानी से एक अलग राज्य की जरूरत का जिक्र किया, लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया. इसके बाद, 1923 में भी संयुक्त प्रांत के राज्यपाल के सामने फिर से मांग रखी गई, और 1938 में श्रीनगर गढ़वाल में कांग्रेस अधिवेशन के दौरान पंडित नेहरू ने इस मांग का समर्थन भी किया. फिर भी, एक अलग राज्य का सपना अधूरा रह गया.
90 के दशक में तेज हुआ आंदोलन
आजादी के बाद भी उत्तराखंड की जनता के लिए संघर्ष जारी रहा. 1950 में संयुक्त प्रांत का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया, लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार हिमालयी क्षेत्र की विशेष जरूरतों को नहीं समझ सकी. इसके चलते पहाड़ी लोगों ने एक बार फिर से एक अलग राज्य की मांग उठाई और उत्तराखंड क्रांति दल का गठन हुआ. 90 के दशक में आंदोलन तेज हुआ और 1994 में हालात इतने खराब हो गए कि आंदोलन हिंसक हो गया.
इसके बाद, कई आंदोलनकारियों की शहादत और संघर्ष के बाद 9 नवंबर, 2000 को उत्तरांचल के नाम से इस पहाड़ी राज्य की स्थापना हुई. साल 2007 में इसका नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया.
उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग करने की प्रक्रिया
24 सितंबर, 1998: उत्तर प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद ने उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पारित किया.
27 जुलाई, 2000 : केंद्र सरकार ने भारतीय संसद में उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पेश किया.
1 अगस्त, 2000 : लोकसभा और 10 अगस्त, 2000 को राज्यसभा ने इसे पारित किया.
28 अगस्त, 2000 : राष्ट्रपति के.आर. नारायणन ने इसे मंज़ूरी दी.
9 नवंबर, 2000 : उत्तराखंड भारत का 27वां राज्य बना.
जनवरी, 2007 : उत्तराखंड का नाम उत्तरांचल से बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया.
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
उत्तराखंड का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी है. यह राज्य हिमालय के अद्भुत नजारों, पवित्र नदियों और बर्फ से ढकी चोटियों का घर है. यहां का चार धाम - बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, और यमुनोत्री - हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में शामिल हैं. इसके अलावा, उत्तराखंड दो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों, फूलों की घाटी और नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान के लिए भी प्रसिद्ध हैं.
उत्तराखंड की सीमाएं तिब्बत, नेपाल, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगती हैं, और इसकी प्राकृतिक संपदाएं इसे पर्यटन के लिए आकर्षण का केंद्र बनाती हैं.
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