राजेंद्र तिवारी/ बुंदेलखंड: पूरे देश में रक्षाबंधन का पर्व सावन की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है लेकिन बुंदेलखंड के महोबा जिले में यह पर्व परमा के अनुसार एक दिन बाद मंगलवार को 20 अगस्त मनाया गया. 


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कहा जाता है कि पूर्णिमा के दिन यहां दिल्ली के राजा पृथ्वीराज चौहान और महोबा के शूर वीर आल्हा-ऊदल के बीच घनघोर युद्ध चल रहा था जिस वजह से विजय उपरांत दूसरे दिन रक्षा बंधन का पर्व मनाया गया तभी से यह प्रथा चली आ रही है. 


रक्षाबंधन का त्योहार दूसरे दिन  
महोबा में 832 ईसा पूर्व में दिल्ली के राजा पृथ्वीराज चौहान ने अपने सात लाख सैनिको के साथ महोबा के राजा परमाल पर आक्रमण कर पांच शर्तें रख युद्ध न करने की बात कही थी लेकिन राज परमाल ने पांचों शर्तो को ठुकरा दिया. इससे पृथ्वीराज चौहान ने महोबा पर आक्रमण कर दिया था.


युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को धूल चटाई 
राज परमाल के वीर योद्धा आल्हा उदल ने पूर्णिमा के दिन पृथ्वीराज चौहान को धूल चटा यहां से भगा दिया था. पूरे दिन लड़ाई चलने के कारण पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं हो पाया जिससे एक दिन बाद इस पर्व को मनाया गया था. तभी से महोबा में रक्षाबंधन इसी परमा से मनाई जाती है.


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