Robot Dog: पहाड़-गुफा में छिपे आतंकी भी बच न पाएंगे, IIT कानपुर ने बनाया तेजतर्रार रोबो डॉग
आईआईटी कानपुर ने देश का पहला डॉग रोबोट बनाया है. जो सेना, पुलिस और जांच एजेंसियों के लिए काम करेगा. भारत का पहला स्टैरिक रोबोट है, जो सीमा पर दुश्मनों की हरकत की निगरानी के साथ -साथ उनके हरकतों को भी कैप्चर करेगा. आइए जानते हैं इस रोबोट डॉग की क्या खासियत हैं.
रोबोट डॉग
आईआईटी कानपुर में रोबोट डॉग का निर्माण किया है. इसका नाम एम-2 रखा गया है। यह कोई आम डॉग नहीं होगा. बल्कि एक असली कुत्ते की तरह की सेना, पुलिस व जांच एजेंसी के लिए मदद भी करेगा. यह रोबोट डॉग तैयार किया जा चुका है. रोबेट डॉग को बनाने वाले आदित्य प्रताप राजावत ने बताया कि यह रोबोट अलग-अलग वातावरण में भी काम कर सकेगा.
देश का पहला रोबोट डॉग
इसमें लगे सेंसर की मदद से इसे हम हर परिस्थितियों के लिए तैयार कर सकते हैं. आईआईटी कानपुर की इंक्यूबेटेड कंपनी ने देश का पहला रोबोट डॉग तैयार कर दिया है.
क्या काम करेगा?
इसे आसानी से अपने साथ सर्च आपरेशन, कॉम्बिंग आदि वाले स्थानों पर ले जाया जा सकता है. यह रोबोट बिल्कुल एक कुत्ते की तरह ही दिखता और काम करता है.
AI तकनीक से तैयार किया
आदित्य ने बताया कि इस रोबोट को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक से तैयार किया गया है. यह रोबोट आईआईटी कानपुर की एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. इसके अभी तक सभी परीक्षण सफल रहे हैं.
कितना खर्च
इसको बनाने में दस लाख रुपये का खर्च आया है.आदित्य ने बताया कि इसको तैयार करने में लगभग तीन साल से ज्यादा का समय लगा है। रोबोट को लिए कई सिक्योरिटी कंपनियों ने भी संपर्क किया.
IIT कानपुर में हुआ तैयार
इस रोबोट को आईआईटी कानपुर की मोबाइल रोबोटिक्स लैबोरेट्री में तैयार किया गया. इस रोबेट मे कई सारे सेंसर लगे है. इसमें मल्टीपल कैमरा लगा है.
कहां कर सकते हैं इस्तेमाल
इसको विशेष तौर पर बॉर्डर की निगरानी के इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. सुरक्षा के मद्देनजर फैक्ट्री की निगरानी के लिए भी इसका प्रयोग कर सकते है.
रोबोट डॉग की खासियत
इसकी कई खासियत हैं. ये पहाड़ो पर जहां इंसान नहीं जा सकता. वहाँ ये आसानी से जा सकता है. सीमा पर 360 डिग्री घूम कर फोटो और वीडियो ले सकता है, उसका एनालिसिस कर सकता है. 24 घण्टे निगरानी कर सकता है. दुश्मन की एक्टविटी को बताएगा.
ले जा सकता 5 किलो वजन
5 kg तक सामान को भी ले जाने के काम आ सकता है. इसके ऊपर एक कंप्यूटर बोर्ड लगा है. जो इसकी प्रोसेसिंग बताता है. कम्युनिकेशन के लिए रेडियो और ब्लूटूथ बेस का इस्तेमाल किया जाता है.
दो साल में होगा पूरी तरह तैयार
रेडियो बेस से इसको एक से डेढ़ किलोमीटर तक ऑपरेट किया जाता है. आदित्य ने बताया कि डेढ़ से दो साल में इसको पूरी तरह तैयार कर लिया जाएगा. डिफेंस से और रिक्वायरमेंट ले रहे हैं ताकि डिफेंस के लिए उपयुक्त बनाया जा सके.