संकल्प दुबे/कानपुर: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रविवार सुबह कानपुर देहात स्थित अपने पैतृक गांव परौंख पहुंचे. देश के प्रथम नागरिक के पद पर आसीन होने के बाद वह पहली बार अपने गांव पधारे. हेलीपैड पर उतरते ही राष्ट्रपति नीचे झुके और गांव की मिट्टी को माथे पर लगाया. इसके बाद गांव में आयोजित अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए भावुक हो गए. राष्ट्रपति ने मंच से अपने दिल की बात कही. 


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मैं राष्ट्रपति बनूंगा सपने में भी नहीं सोचा था
उन्‍होंने कहा कि मेरे आगमन पर आप जितने खुश हैं उससे ज्यादा कहीं खुशी मुझे है. लोगों ने पुष्प वर्षा कर स्‍वागत किया, यह देखकर मैं आहलादित हूं. इस बार काफी विलंब से गांव आना हुआ. कामना करता हूं कि आगे से ऐसा न हो. मैंने सपने में भी कभी कल्पना नहीं की थी कि गांव के मेरे जैसे एक सामान्य बालक को देश के सर्वोच्च पद के दायित्व-निर्वहन का सौभाग्य मिलेगा. लेकिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने यह कर के दिखा दिया.


परौंख सिर्फ गांव नहीं प्रेरणा स्थली है:राष्ट्रपति
उन्होंने कहा कि मैं देश के स्वतंत्रता सेनानियों व संविधान-निर्माताओं के अमूल्य बलिदान व योगदान के लिए उन्हें नमन करता हूं. सचमुच में, आज मैं जहां तक पहुंचा हूं उसका श्रेय इस गांव की मिट्टी और इस क्षेत्र तथा आप सब लोगों के स्नेह व आशीर्वाद को जाता है. मैं कहीं भी रहूं, मेरे गांव की मिट्टी की खुशबू और मेरे गांव के लोगों की यादें सदैव मेरे दिल में रहती हैं. मेरे लिए परौंख केवल एक गांव नहीं है, यह मेरी मातृभूमि है, जहां से मुझे आगे बढ़कर देश-सेवा की प्रेरणा हमेशा मिलती रही.


कुल देवी पथरी देवी के मंदिर में मत्था टेका
राष्ट्रपति कोविंद लैंड करने के तुरंत बाद परिवार के साथ परौंख स्थित कुल देवी पथरी देवी के दर्शन करने पहुंचे. मंदिर के पुजारी केके वाजपेयी ने बताया कि राष्ट्रपति ने 11 हजार रुपए दान के रूप में दिया. इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद रहीं. इसके बाद गांव में आयोजित अभिनंदन समारोह में पहुंचे. राष्ट्रपति बचपन में जिस स्कूल में पढ़े वहां भी पहुंचे. तब यह प्राइमरी स्कूल बहुत खस्ता हाल में था. अब इसे मॉडल प्राइमरी स्कूल बना दिया गया है.


कानपुर देहात को मेडिकल कॉलेज की सौगात
राष्ट्रपति ने बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ ने वादा किया है कि जल्‍द ही यहां पर बाबा साहब की भव्य संगमरमर की प्रतिमा बनवाई जाएग. इसके बाद वह अपने पुश्तैनी मकान गए, जिसे मिलन केंद्र के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मौके पर कानपुर देहात में मेडिकल कॉलेज बनवाने की घोषणा की. उन्होंने कहा​ कि यह सौभाग्य की बात है हमने राष्ट्रपति के गांव के विकास के लिए कुछ योजनाएं बनाई हैं.


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का परौंख गांव से​ रिश्ता
कानपुर देहात जिले में झींझक के पास स्थित गांव परौंख की मिट्टी ने रामनाथ कोविंद के गली-मोहल्लों में खेलने से लेकर छात्र जीवन, राज्यपाल व अब देश के शीर्ष पद पर पहुंचने का सफर देखा है. इस सफर के दौरान वह हमेशा यहां से जुड़े रहे. लेकिन इस बार परौंख को रामनाथ कोविंद के आगमन के लिए चार वर्ष का लंबा इंतजार करना पड़ा. परौंख की धरती पर 1 अक्टूबर 1945 को जन्मे रामनाथ कोविंद को संघर्ष व संस्कार की शिक्षा पिता मैकूलाल ने दी.


राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार अपने गांव पहुंचे
उनके पिता पथरी देवी मंदिर की देखरेख करते थे. इसके चलते ही राष्ट्रपति का यहां से बेहद जुड़ाव है. यहां प्राइमरी तक की शिक्षा लेने के बाद रामनाथ कोविंद ने कानपुर में उच्च शिक्षा प्राप्त की और फिर दिल्ली में वकालत करने आ गए. राज्यसभा सदस्य बने फिर बिहार के राज्यपाल. उन्होंने 25 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली. राष्ट्रपति बनने के बाद व्यस्त कार्यक्रमों के चलते वह अपनी मातृभूमि परौंख नहीं आ सके. उन्होंने अपने संबोधन में इसका जिक्र भी किया.


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