Kedarnath By-election 2024 Live: केदारनाथ में वोटिंग जारी, अब तक 4.30 प्रतिशत हुआ मतदान
Kedarnath By-election 2024 Live Voting: केदारनाथ सीट पर उपचुनाव उत्तराखंड की राजनीति में काफी अहम हो गया है. बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों के लिए इस सीट पर परचम लहराना अहम माना जा रहा है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. हालांकि, यहां किसके सिर जीत का ताज सजेगा इसका फैसला जल्द ही हो जाएगा. पढ़िए
Kedarnath UpChunav 2024 Voting Updates: केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव के लिए वोटिंग जारी है. कड़ाके की सर्दी में भी मतदाता गर्म कपड़े और मफलर लपेट कर मतदान केंद्रों पर पहुंचे और बड़े ही उत्साह के साथ वोटिंग कर रहे हैं. धूप निकलने के बाद मतदाताओं की भीड़ भी मतदान केंद्रों पर लगी है. सुबह नौ बजे तक 4.30 प्रतिशत मतदान हुआ है. मतदान के लिए पूरे विधानसभा क्षेत्र में 173 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं. वहीं, 6 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. जिनमें बीजेपी से आशा नौटियाल, कांग्रेस से मनोज रावत, यूकेडी के आशुतोष भंडारी, निर्दलीय त्रिभुवन चौहान, आरपी सिंह और प्रदीप रोहन हैं. हालांकि, मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही है. केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव न सिर्फ बीजेपी बल्कि कांग्रेस के लिए भी बेहद अहम है. या यूं कहें इस सीट पर उपचुनाव सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि देवभूमि की राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ लाने वाला है. यह चुनाव दोनों ही पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है. माना जा रहा है कि यह चुनाव राजनीतिक समीकरणों को भी एक नया आकार देने का संकेत है. जहां एक ओर बीजेपी महिला प्रत्याशियों की जीत का मिथक दोहराने की कोशिश में है, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इसे तोड़ने के लिए संघर्ष कर रही है. हालांकि, इसका फैसला 23 नवंबर को काउंटिंग के साथ ही हो जाएगा कि केदारनाथ में जीत का सेहरा किसके सिर सजेगा? आज बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी.
दरअसल, केदारनाथ विधानसभा में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है. इस सीट पर अब तक तीन बार बीजेपी का कब्जा रहा तो वहीं कांग्रेस के खाते में यह सीट दो बार गई. बीजेपी विधायक शैला रानी रावत के निधन के बाद यह सीट खाली है. अब इस सीट से बीजेपी ने पूर्व विधायक आशा नौटियाल को मैदान में उतारा है. वहीं, कांग्रेस मनोज रावत पर किस्मत आजमा रही है. इस उपचुनाव को जीतने के लिए बीजेपी ने पूरे राज्य और केंद्र की ताकत झोंक दी.
सीएम धामी का इम्तिहान
यह उपचुनाव सीएम पुष्कर सिंह धामी के लिए भी बड़ा इम्तिहान है. जिसके चलते चुनाव की घोषणा से पहले ही सीएम ने केदारनाथ क्षेत्र में विकास योजनाओं की झड़ी लगा दी थी. प्रभावितों के लिए विशेष पैकेज से लेकर बुनियादी ढांचे के विकास तक की घोषणाएं की. भले ही बीजेपी हरियाणा में सत्ता पर तीसरी बार काबिज हुई, लेकिन उत्तराखंड के बद्रीनाथ और मैंगलोर विधानसभा चुनाव पार्टी हार चुकी थी. जिसकी वजह से केदारनाथ विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए परीक्षा की घड़ी है और इस परीक्षा में कामयाबी के लिए पीएम मोदी का केदारनाथ से भावनात्मक जुड़ाव सबसे बड़ा सहारा माना जा रहा है.
कांग्रेस ने झोंकी पूरी ताकत
उधर, बद्रीनाथ और मैंगलोर विधानसभा उपचुनाव जीतने के बाद कांग्रेस काफी उत्साहित दिखी और इस उपचुनाव में पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. मतदाताओं के बीच पार्टी ने अपने भरोसेमंद नेता मनोज रावत को भेजा है. बीजेपी की कमजोरियों को भुनाते हुए कांग्रेस ने चुनाव प्रचार को धार दी. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने महिला मतदाताओं को साधने के लिए खेत-खलिहानों का रुख किया. उनके साथ ही प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य समेत वरिष्ठ नेताओं ने भी प्रचार की कमान संभाली. कांग्रेस ने अपने पक्ष में केदारनाथ धाम से जुड़े मुद्दे, आपदा प्रबंधन और दिल्ली में प्रतीकात्मक मंदिर के निर्माण को भुनाने की कोशिश की.
क्यों जरूरी है ये उपचुनाव?
पार्टी ने महिला मतदाताओं की बहुलता को ध्यान में रखते हुए महिला प्रत्याशी मैदान में उतारा और बीजेपी का दावा है कि क्षेत्र में हुए विकास कार्य और पार्टी का मजबूत संगठनात्मक ढांचा जीत की गारंटी है, लेकिन नई दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के प्रतीकात्मक शिलान्यास को लेकर जनता में नाराजगी भी है. ऐसे में अगर बीजेपी के लिए केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव परिणाम अनुकूल नहीं रहा तो इसका सीधा असर उत्तराखंड की राजनीति पर पड़ने वाला है. उधर, इस सीट को जीतकर कांग्रेस बीजेपी का किला भेदना चाहती है. जानकारों की मानें तो अगर कांग्रेस इस सीट को जीत जाती है तो इसके नतीजे का असर देश की राजनीति पर भी पड़ेगा.
क्या है जातीय समीकरण?
रिपोर्ट्स की मानें तो केदारनाथ विधानसभा में 90540 मतदाता है, जिसमें पुरुष मतदाता 44765 और कुल 45775 महिला वोटर्स हैं. केदारनाथ विधानसभा में सबसे ज्यादा राजपूत वोटर्स की संख्या है. फिर ओबीसी, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ब्राह्मण वोटर की संख्या आती है. वहीं, इस सीट पर 2949 सर्विस वोटर्स हैं, जिसमें 2921 पुरुष मतदाता और 28 महिला वोटर्स शामिल हैं.
क्या बीजेपी तोड़ पाएगी मिथक?
आपको बता दें, केदारनाथ सीट पर महिला प्रत्याशियों की जीत का मिथक रहा है. यह मिथक 2017 में कांग्रेस के मनोज रावत ने तोड़ी थी, लेकिन एक बार फिर बीजेपी इस मिथक को स्थापित करने की कोशिश में है. पिछले चुनावों के आंकड़ों पर अगर आप नजर डालेंगे तो केदारनाथ सीट पर महिला वोटर्स निर्णायक भूमिका में रही हैं. अगर मुद्दों की बात करें तो केदारनाथ उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने जनता के मुद्दों को प्राथमिकता दी है. इस उपचुनाव के नतीजों का असर सिर्फ एक सीट पर नहीं पड़ेगा. बल्कि यह आने वाले विधानसभा चुनावों और बीजेपी-कांग्रेस के सियासी भविष्य का भी फैसला करेगा. जहां इस सीट पर जीत बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है तो वहीं कांग्रेस के लिए यह 2027 के चुनावों से पहले अपनी ताकत दिखाने का मौका है.
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