लखनऊ:  उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मियां बढ़ गई हैं. इसको लेकर चुनाव आयोग भी तैयारियों में जुट गया है. जल्द वह जिला पंचायत चुनाव और ग्राम पंचायत चुनावों के लिए खर्च सीमा तय कर सकता है. इसके अलावा इस बात की भी उम्मीद लगाई जा रही है कि आने वाले समय में आरक्षण से संबंधित बड़े फैसले लिए जा सकते हैं. पिछले 25 साल से जो क्षेत्र आरक्षित हैं, वहां नियमों में बदलाव किया जा सकता है.


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चुनाव आयोग  2015 की नियमावली करेगा लागू
खर्च सीमा को लेकर चुनाव आयोग 2015 की नियमावली का पालन कर सकता है. अगर ऐसा होता है, तो ग्राम पंचायत चुनाव में उम्मीदवार 75 हजार से ज्यादा खर्च नहीं कर पाएंगे. वहीं, जिला पंचायत चुनाव में खर्च की सीमा 1 लाख 50 हजार होगी. इसके अलावा, जो व्यक्ति जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ेगा, वह 4 लाख से अधिक खर्च नहीं कर पाएगा. खर्च पर निगरानी रखने के लिए जिलों में टीमें गठित की जाएंगी.


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आरक्षण पर भी लिया जा सकता है फैसला
इसके अलावा आरक्षित क्षेत्रों को लेकर भी सुगबुगाहट है. सूत्रों के मुताबिक, पिछले 25 सालों से अनुसूचित जाति (एससी) या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए रिजर्व्ड रहे क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी), ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य और जिला पंचायत अध्यक्षों के निर्वाचन क्षेत्रों में इस बार इन जातियों के लिए आरक्षण का लाभ लागू नहीं होगा. यही व्यवस्था एससी, एसटी के लिए आरक्षित रहे क्षेत्रों में भी लागू हो सकती है. इस संबंध में जल्द ही शासन के निर्देश जारी हो सकते हैं.


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फरवरी-मार्च में चुनाव की उम्मीद
इस बात के भी संकेत दिए गए हैं कि चुनाव को बोर्ड परीक्षाओं से पहले करा लिया जाएगा. इसके लिए 14 जनवरी को बैठक होने वाली है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रहा है कि पंचायत चुनाव फरवरी से मार्च के बीच में कराए जा सकते हैं.


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