Maha kubha 2025: कुंभ मेले का आयोजन लगभग दो हजार सालों से हो रहा है.  इसका उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता है. कुंभ मेला हिंदू धर्म का महापर्व है, जिससे करोड़ों लोगों की आस्थाएं जुड़ी होती हैं. महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल के अंतराल पर प्रयागराज में होता है. इस बार महाकुंभ 13 जनवरी 2025 से आयोजित होने वाला है. इस मौके पर हम आपके लिए लेकर आए हैं, महाकुंभ पर आधारित ये खास क्विज यानी आपकी जनरल नॉलेज के बारे में जानते हैं. देखते हैं कि आप कुंभ को कितना जानते हैं.  


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1- कैसे हुई कुंभ की शुरुआत
जवाब: वेदों या पुराणों में कुंभ मेले का जिक्र नहीं मिलता, लेकिन दंतकथाओं की मानें तो चंद्रमा की एक गलती की वजह से धरती पर कुंभ मेले की शुरुआत हुई थी


2- सवाल: क्या ग्रंथों में मिलता है ‘कुंभ’ शब्द का उल्लेख
जवाब: प्राचीन ग्रंथों में ‘कुंभ’ शब्द का उल्लेख मिलता है.  संगम के स्नान और प्रयागराज का जिक्र मिलता है.  हर साल माघ के महीने में स्नान के महत्व का भी जिक्र मिलता है, लेकिन कुंभ जैसे किसी आयोजन का जिक्र किसी भी ग्रंथ में नहीं मिलता है.जानते हैं प्राचीन ग्रंथों में ‘कुंभ’ शब्द कहां मिलता है.


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3- सवाल:  कुंभ मेले की शुरुआत कैसे हुई? 
 जवाब: धार्मिक मान्यता और कथाओं के अनुसार कुंभ का संबंध समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश से जुड़ा है. 


4- सवाल: देवताओं और दानवों  ने क्यों किया समुद्र मंथन
जवाब: दरअसल अमृत कलश के लिए ही समुद्र मंथन किया गया था. कहा जाता है कि देवताओं और दानवों ने मिलकर जब समुद्र को मथा तब इससे 14 बहुमूल्य रत्नों की प्राप्ति हुई, जिसमें अमृत कलश भी एक है. दरअसल अमृत कलश के लिए ही समुद्र मंथन किया गया था.  सबसे आखिर में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर बाहर निकले.


5- सवाल: देवताओं और दानवों के बीच क्यों हुआ विवाद?
जवाब: अमृत कलश के निकलने के बाद देवताओं और दानवों के बीच विवाद हो गया. इस बीच दानवों से बचाने के लिए इंद्र के पुत्र जयंत अमृत कलश को लेकर भागने लगे. दानवों ने भी जयंत का पीछा किया.


6-सवाल: कैसे हुई जयंत से गलती?
 जवाब: जब जयंत अमृत कलश लेकर भाग रहे थे तब कलश से अमृत की कुछ बूंदे पृथ्वी के चार स्थानों पर गिर गई. ये चार स्थान प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नासिक थे.  इसलिए इन जगहों को धरती का सबसे पवित्र स्थान माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि कुंभ के आयोजन के दौरान इन नदियों का जल अमृत के समान हो जाता है.


7- सवाल: चंद्रमा की क्या थी गलती?
जवाब: दंतकथाओं की मानें तो चंद्रमा की एक गलती की वजह से धरती पर कुंभ मेले की शुरुआत हुई. दरअसल अमृत कलश के लिए ही समुद्र मंथन किया गया था.  इस अमृत तो संभालने की जिम्मेदारी चंद्रमा को दी गई थी.  परंतु जब समुद्र मंथन के बाद धनवंतरी देव हाथों में अमृत का कलश लिये निकले, तो यह पूरा तरह भरा हुआ था और छलक रहा था.


8- सवाल: कहां गिरी अमृत की बूंदें?
जवाब: अमृत जब छलकने लगा, तो चंद्रमा इसे सही ढंग से संभाल नहीं पाये और इस अमृत की चंद बूंदे गिर गईं.  ये बूंदे जहां गिरी वो स्थान है प्रयागराज में गंगा, सरस्वती और यमुना नदियों का संगम.


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9- सवाल: धरती को क्या हुआ समुद्र मंथन से फायदा?
जवाब: कहा जाता है कि अमृत गिरने के बाद यह स्थान पवित्र हो गया.  इसके बाद से संगम स्नान का महत्व बढ़ गया और यहां कुंभ मेले का आयोजन होने लगा.  इस प्रकार चंद्रमा की एक गलती धरतीवासियों के लिए आस्था का केंद्र बन गई।


10-  सवाल: 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ
जवाब: 13 जनवरी 2025 से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ लगने वाला है, जिसका समापन 26 फरवरी 2025 को होगा. इस दौरान साधु-संत और लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचकर त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाते हैं और आत्म शुद्धि प्राप्त करते हैं.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE UPUK इसकी पुष्टि नहीं करता है.


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