Kumbh Mela 2025: आजादी के बाद, कुंभ मेला में साधु-संतों के अलावा राजनीतिक लोग भी जुड़ते चले आ रहे हैं. जिनमें प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से नरेंद्र मोदी तक इस आस्था के सैलाब में डुबकी लगा चुके हैं. भारत के विभिन्न प्रधानमंत्रियों ने समय-समय पर इस मेले में भाग लिया या इससे जुड़े निर्णय लिए हैं. आइए, हम उनके बारे में बताते हैं.  


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पंडित जवाहरलाल नेहरू (1951)
भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने कुंभ मेले को भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक बताया. उन्होंने 1951 में कुंभ मेले का दौरा किया और इसे भारत के सांस्कृतिक ताने-बाने का अभिन्न हिस्सा माना. 


इंदिरा गांधी 
भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी कुंभ मेला के आयोजन का समर्थन किया और कुंभ मेला में शामिल हुईं. उनके कार्यकाल में इस मेले का महत्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा गया था 


अटल बिहारी वाजपेयी (2001)
अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते हुए प्रयागराज कुंभ मेले में बेहतर व्यवस्थाओं और साधु-संतों की सुविधा पर जोर दिया. उनके प्रयासों से मेला और अधिक सुव्यवस्थित और भव्य हुआ.


नरेंद्र मोदी (2019)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में कुंभ मेले में गंगा स्नान किया और इसे भारतीय संस्कृति का अनूठा प्रतीक बताया. उन्होंने स्वच्छता और बेहतर व्यवस्थाओं पर विशेष ध्यान दिया. 


कुंभ मेले का ऐतिहासिक महत्व
कुंभ मेला न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि भारतीय संस्कृति और समाज को जोड़ने वाले एक बड़े मंच के रूप में भी महत्वपूर्ण है. इसमें लाखों श्रद्धालु और साधु-संत हिस्सा लेते हैं, जिससे यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बनता है.


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