Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ 2025 में आध्यात्मिकता, परंपरा और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला. जूना अखाड़े और किन्नर अखाड़े की पेशवाई शोभायात्रा में नागा साधुओं के युद्ध कौशल और किन्नर संतों की भव्यता ने लोगों का मन मोह लिया. देश-विदेश से आए श्रद्धालु और पर्यटक सनातन धर्म की दिव्यता और योग-वैदिक संस्कृति से अभिभूत हो गए.


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नागा साधुओं ने दिखाया अद्भुत कला प्रदर्शन
महाकुंभ 2025 का आयोजन संगमनगरी प्रयागराज में अपनी भव्यता और आध्यात्मिकता से विश्वभर में चर्चित हो रहा है. नागा साधुओं के युद्ध कौशल और अखाड़ेबाजी का प्रदर्शन महाकुंभ का मुख्य आकर्षण बन चुका है.


हर-हर महादेव के गगनभेदी जयघोष के बीच साधुओं ने तलवार, लाठी, भाला और बरछी चलाने की अपनी अद्भुत कला का प्रदर्शन किया. मौज गिरि आश्रम से शिविर छावनी तक साधुओं का यह जौहर भक्तों और विदेशी मेहमानों को मंत्रमुग्ध कर गया.


5000 से अधिक संन्यासियों ने यात्रा में भाग लिया
जूना अखाड़े के छावनी प्रवेश के दौरान नागा साधुओं ने अपनी परंपरागत युद्ध कलाओं का प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शन न केवल सनातन धर्म की सुरक्षा का संदेश देता है, बल्कि यह दिखाता है कि ये साधु धर्म के लिए हर स्थिति में तैयार हैं.


पांच हजार से अधिक नागा संन्यासियों ने इस यात्रा में भाग लिया. तलवारें भांजते और एक-दूसरे के ऊपर खड़े होकर अपने कौशल का प्रदर्शन करते साधुओं को देखने के लिए भारी संख्या में लोग जुटे.  


विदेशी मेहमानों ने भी लिया हिस्सा 
विदेशी मेहमानों ने भी इस आयोजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. मास्को से आईं जूना अखाड़ा की महामंडलेश्वर मां आनंदमयी ने कहा कि महाकुंभ जैसी दिव्यता दुनिया में कहीं और नहीं है.


नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस से आए पर्यटकों ने इस आयोजन को आत्मिक और अद्भुत बताया. जापान की योगमाता केको आइकावा ने भी प्रयागराज की आध्यात्मिक ओज और भक्ति से अभिभूत होकर कहा कि प्रयाग के कण-कण में धर्म और मोक्ष का सार प्रवाहमान है.  


किन्नर अखाड़े ने पहली बार निकाली पेशवाई
प्रयागराज महाकुंभ 2025 के अवसर पर शनिवार को जूना अखाड़े के साथ किन्नर अखाड़े ने भी पहली बार पेशवाई निकाली. किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी राजसी रथ पर सवार होकर शोभायात्रा में शामिल हुए. उनके साथ अखाड़े के संत और अनुयायी ढोल-नगाड़ों की धुन पर नाचते-गाते आगे बढ़े.  


कलाबाजी ने लोगों का ध्यान खींचा
त्रिशूल और तलवार लेकर किन्नर संतों की कलाबाजी ने लोगों का ध्यान खींचा. वहीं, डमरू बजाते युवाओं की टोली भी आकर्षण का केंद्र बनी. सड़कों के किनारे खड़ी भीड़ ने हाथ जोड़कर महामंडलेश्वर से आशीर्वाद मांगा, जिन्हें फूल-मालाओं और सिक्कों के रूप में आशीर्वाद दिया गया. किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्यानंद गिरी ने बताया कि पहली बार उनका अखाड़ा जूना अखाड़े के साथ पेशवाई में शामिल हुआ है.


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