बनारस का 900 साल पुराना पंचाग्नि अखाड़ा, महाकुंभ में सिर्फ ब्राह्मणों को दीक्षा, चार ब्रह्मचारी बनते हैं मठाधीश
Panchagni Akhara: यूपी महाकुंभ के लिए बिलकुल तैयार है. महाकुंभ हो और अखाड़े न हो ऐसा हो नहीं सकता. यानी जहां कुंभ वहां अखाड़े. महाकुंभ की शुरुआत अखाड़ों के स्नान के साथ ही होती है. अखाड़ों की सीरीज में हम बात करते हैं अब आइए जानते हैं श्री पंचाग्नि अखाड़े के बारे में...
History of Panchagni Akhara: यूपी के प्रयागराज में 13 जनवरी से लगने जा रहे महाकुंभ में साधु-संतों के 13 अखाड़े भी लाखों साधुओं के साथ शामिल होने जा रहे हैं. इन अखाड़ों में शैव और वैष्णव मत के मानने वाले दोनों हैं. अखाड़ों की सीरीज में आज हम आपको श्री पंचाग्नि अखाड़े के बारे में बताने जा रहे हैं. यह अखाड़ा अपनी समृद्ध इतिहास और पारंपरिक मूल्यों के लिए जाना जाता है. इस अखाड़े का मुख्य केंद्र वाराणसी में है.
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श्री पंचाग्नि अखाड़े का इतिहास
श्री पंचाग्नि अखाड़े की स्थापना1136 ईस्वी में हुई थी. इनकी इष्ट देव गायत्री है और इनका प्रधान केंद्र काशी है. इस अखाड़े के सदस्य ब्रह्मचारी, साधु, महामंडलेश्वर, और चारों पीठ के शंकराचार्य होते हैं. परंपरा के अनुसार इसकी शाखाएं इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक, और जूनागढ़ में हैं.
सिर्फ़ ब्राह्मणों को दीक्षा
यह शैव संप्रदाय के सबसे पुराने अखाड़ों में से एक है. इसका मुख्य केंद्र वाराणसी में है. अखाड़े का संचालन 28 श्री महंत और 16 सदस्यों की टीम करती है. इस अखाड़े की इष्ट देवी गायत्री हैं. इस अखाड़े में सिर्फ़ ब्राह्मणों को दीक्षा दी जाती है. अखाड़े के साधु-संत तंत्र साधना से जुड़े होते हैं.
शैक्षणिक गतिविधियों को महत्व
अखाड़े में शैक्षणिक गतिविधियों को भी बहुत महत्व दिया जाता है. शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अखाड़े की ओर से एक दर्जन स्कूल और कॉलेज खोले गए हैं. अखाड़े के महंत मुक्तानंद के प्रयास से नेपाल और राजस्थान के कई गांवों को गोद लिया गया है. इस अखाड़े की आचार्य गादी नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक में मार्कंडेय आश्रम में है.
श्रीपंचाग्नि अखाड़ा चतुर्नाम्ना ब्रह्मचारियों का अखाड़ा
यह भी कहा जाता है कि श्रीपंचाग्नि अखाड़ा चतुर्नाम्ना ब्रह्मचारियों का अखाड़ा है. इस अखाड़े की जो आचार्य गादी है, वह नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक में मार्कंडेय आश्रम में स्थित है जो श्रीमार्कंडेय ऋषि की तपस्थली है. इस पीठ पर आराध्या भगवती गायत्री है. आनंद, चैतन्य, स्वरुप और प्रकाश नामक चार ब्रह्मचारी इन मठों के क्रमश मठाधीश होते हैं.
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श्री पंचाग्नि अखाड़े के साधु-संत विभिन्न धार्मिक और सामाजिक कार्यों में शामिल होते हैं, जैसे धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन, गरीबों और असहायों की मदद करना, और समाज में शिक्षा और जागरूकता फैलाना है.श्री पंचाग्नि अखाड़े का मुख्य उद्देश्य हिंदू धर्म के सिद्धांतों और मूल्यों को बनाए रखना और उनका प्रसार करना है, यह अखाड़ा साधु-संतों के लिए एक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में कार्य करता है, जहां वे आध्यात्मिक ज्ञान और साधना के लिए एकत्रित होते हैं.
भारत में 13 अखाड़े
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महाकुंभ में पहला शाही स्नान
13 जनवरी को कुंभ के पहले शाही स्नान में यह अखाड़ा पूरी शान-ओ-शौकत के साथ पहुंचेगा. स्वर्ण-चांदी के रथ, अस्त्र शस्त्रों के साथ रेत पर दौड़ लगाते नागा साधु जब गंगा स्नान करेंगे तो वह दृश्य हर किसी को अभिभूत कर देता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE UPUK इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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