Naga Sadhu Life: कुंभ में अपने शरीर पर भस्म लपेट कर दिखाई देने वाले नागा साधु इस महापर्व का सबसे बड़ा आकर्षण होते हैं. नागा साधु कुंभ के दौरान ही नजर आते हैं, अब सवाल यह है कि यह नागा कुंभ के बाद और पहले कहां निवास करते हैं
कुंभ हो या महाकुंभ, आपने देखा होगा कि इस दौरान नागा साधु सबसे खास आकर्षण का केंद्र होते हैं. क्योंकि पवित्र नदियों या तीर्थों के अलावा शायद ही किसी अन्य जगह पर नागा साधु नजर आते हैं.
कुंभ जैसे खास मौकों पर नजर आने वाले नागा साधु कुंभ के बाद अचानक कहां गायब हो जाते हैं, आपने ये सोचा तो जरूर होगा. ये सोचने वाली बात है.
नागा साधु कुंभ मेले, माघ मेले जैसे खास मौकों पर ही दिखते हैं. नागा साधु बनने से लेकर इन साधुओं का जीवन उनके रहने का तरीका काफी रहस्यमयी माना जाता है. यही वजह है कि साधु-संतों की इस बिरादरी के बारे जानने की उत्सुकता ज्यादातर लोगों में रहती है. कुंभ मेले के बाद नागा साधु कई जगहों पर जाते हैं..आइए जानते हैं..
कथाकथित धारणाओं के आधार पर ऐसा माना जाता है कि नागा साधु कुंभ मेले में गंगा स्नान करने आते हैं और फिर मेला खत्म हो जाने के बाद हिमालय की पहाड़ियों और जंगलों में वास करते हैं
ज़्यादातर नागा साधु कुंभ मेले के बाद हिमालय की गुफाओं में चले जाते हैं, जहां वे कठोर तप करते हैं. नागा साधु बस फल और पानी पर ही जीवन व्यतीत करते हैं.
कई नागा साधुओं को खुले वातावरण में रहना पसंद होता है. इसलिए वे कुंभ के बाद तीर्थ स्थलों की यात्रा पर निकल जाते हैं. हालांकि अब कुछ नागा साधु अपने अखाड़ों के प्रशिक्षण केंद्रों में भी अपना समय देते हैं
कुंभ के बाद कुछ नागा अपनी साधना के लिए कंदराओं में चले जाते हैं जबकि कुछ अपने अखाड़ों में चले जाते हैं.
हालांकि साधना के दौरान धूनी के सामने वह दिगंबर रूप में ही रहते हैं. कुछ नागा हमेशा दिगंबर रूप में रहते हैं जबकि कुछ एक वस्त्र धारण करते हैं.
ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव के परम भक्त माने जाने वाले नागा साधु बड़े विध्वंसक होते हैं. अगर कोई इनके ज्यादा पास जाने की कोशिश करता है या फिर इनके भेदों को जानने की कोशिश करता है तो यह अपनी तंत्र विद्या से उसका अहित कर देते हैं.
यह भी कहते हैं कि नागा साधु उन श्मशानों केआसपास गुफा बनाकर रहते हैं. नागा साधु सांसारिकता से बहुत दूर रहते हैं. वे शिव भक्त होते हैं.
ऐसी मान्यता है कि नागा साधु नग्न अवस्था में ही रहते हैं और मांस मदिरा का सेवन करते हैं. किसी भी मृतक का शव इनकी पूजा-पाठ का अहम भाग होता है.
नागा बनने के लिए वैसे तो कोई शैक्षिक या उम्र की बाध्यता नहीं है. नए नागाओं की दीक्षा प्रयाग, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन के कुंभ में होती है. प्रयाग में दीक्षा पाने वाले नागा को राजराजेश्वर, उज्जैन में दीक्षा पाने वाले को खूनी नागा, हरिद्वार में दीक्षा पाने वाले को बर्फानी नागा और नासिक में दीक्षा पाने वाले को खिचड़िया नागा कहा जाता है.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं.कंटेंट का उद्देश्य मात्र आपको बेहतर सलाह देना है. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता. इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं.