Mahakumnh 2025, Miyawaki Technique: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है. महाकुंभ में लाखों श्रद्धालुओं के आगमन को ध्यान में रखते हुए, राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने शहर में जापानी मियावाकी तकनीक से घने जंगल विकसित किए हैं. इनका उद्देश्य श्रद्धालुओं को शुद्ध वायु और स्वच्छ वातावरण प्रदान करना है. संस्कृति मंत्रालय के मुताबिक, महाकुंभ की तैयारी के तहत प्रयागराज नगर निगम ने पिछले दो वर्षों में 10 से अधिक स्थानों पर 55,800 वर्ग मीटर क्षेत्र में पेड़ लगाए हैं. इस पहल के तहत ऑक्सीजन बैंक स्थापित किए गए हैं, जिससे शहर की हरियाली और वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है.


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नैनी औद्योगिक क्षेत्र में सबसे बड़ा पौधारोपण


प्रयागराज नगर निगम आयुक्त चंद्र मोहन गर्ग के अनुसार, नैनी औद्योगिक क्षेत्र में 63 प्रजातियों के 1.2 लाख पौधे लगाए गए हैं. वहीं, शहर के बड़े कूड़ा डंपिंग यार्ड की सफाई के बाद बसवार में 27 प्रजातियों के 27,000 पेड़ लगाए गए. इस परियोजना ने औद्योगिक कचरे को कम करने, धूल और दुर्गंध से छुटकारा पाने और वायु गुणवत्ता सुधारने में मदद की है.


मियावाकी तकनीक से विकसित किए गए घने जंगल


मियावाकी तकनीक पौधा रोपण की एक उन्नत विधि है, जिसमें कम जगह में देशी पौधों की कई प्रजातियां लगाई जाती हैं. ये पौधे एक-दूसरे के करीब लगाए जाते हैं, जिससे उनकी वृद्धि तेज होती है और तीन वर्षों में वे घने जंगल का रूप ले लेते हैं.


किसने की थी मियावाकी तकनीक की खोज?


मियावाकी तकनीक की खोज जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी ने 1970 के दशक में की थी. इस तकनीक की खासियत यह है कि इससे विकसित पौधे सामान्य पौधों की तुलना में 10 गुना तेजी से बढ़ते हैं. इसके अलावा इसमें दूसरे प्रकार के खाद या पानी की आवश्यकता नहीं होती.


मियावाकी तकनीक के फायदे


वायु प्रदूषण में कमी- यह तकनीक वायु और जल प्रदूषण को कम करने, मिट्टी के कटाव को रोकने और जैव विविधता को बढ़ावा देने में सहायक है.


तापमान में कमी- ऐसे जंगल दिन और रात के तापमान के अंतर को कम कर सकते हैं और औसत तापमान को 4-7 डिग्री सेल्सियस तक घटा सकते हैं.


जैव विविधता को बढ़ावा- ये जंगल पक्षियों और जानवरों के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करते हैं और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाते हैं.


प्रयागराज में लगाए गए प्रमुख पौधे


इस परियोजना के तहत आम, महुआ, नीम, पीपल, इमली, अर्जुन, सागौन, तुलसी, आंवला, और बेर जैसे फलदार और औषधीय पेड़ों की प्रमुख प्रजातियां लगाई गई हैं। इसके अलावा गुड़हल, कदंब, गुलमोहर, जंगल जलेबी, बोगनविलिया, ब्राह्मी और शीशम जैसी सजावटी और औषधीय प्रजातियां भी शामिल हैं.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)