Lakhimpur Shiv Mandir: यूपी में त्रेतायुग का वो शिवमंदिर, जहां लंकापति रावण लेकर पहुंचा था शिवलिंग
Lakhimpur Shiv Mandir: दुनियाभर में कई मशहूर शिव मंदिर हैं, जो पौराणिक मान्यताओं और कहानियों को खुद में समेटे हुए हैं. ऐसा ही एक प्राचीन शिव मंदिर लखीमपुर खीरी में है. जहां लंकापति रावण शिवलिंग लेकर पहुंचा था. आइए, जानते हैं इस मंदिर और शिवलिंग के स्थापना की पूरी कहानी.
Lakhimpur Shiv Mandir: यूपी के लखीमपुर खीरी में छोटी काशी नाम से मशहूर गोला गोकरणनाथ में भगवान शिव, धरती से कुछ नीचे विराजमान हैं. यहां पौराणिक शिवलिंग स्थापित है. मान्यता है कि इस शिवलिंग को लंका के राजा रावण द्वारा लाया गया था. पुराणों में भी इसका जिक्र मिलता है. त्रेतायुग में श्रीराम से युद्ध के समय रावण ने 12 साल तक भगवान शिव की तपस्या की थी.
रावण से भगवान शिव की शर्त
भगवान शिव ने प्रसन्न होकर जब वरदान मांगने को कहा तो रावण ने कहा कि वह उसके साथ चलें और लंका में ही रहें. रावण की बात सुनकर भगवान शिव ने शर्त रखते हुए कहा कि यदि तुम मुझे लंका ले जाना चाहते हो तो ले चलो पर याद रखना जहां भी भूमि स्पर्श होगी, मैं वहीं स्थापित हो जाऊंगा. रावण सहमत हो गया. जिसके बाद भगवान शिव ने शिवलिंग का रूप ले लिया था.
शिवलिंग पर निशान की कहानी
शिवलिंग को लेकर रावण जब इस जगह से गुजर रहा था तभी भगवान ने रावण को तीव्र लघुशंका की इच्छा जागृत कर दी. रावण ने एक ग्वाले को शिवलिंग दे दिया और लघुशंका करने लगा. इस बीच भगवान ने अपना भार बढ़ाना शुरू कर दिया. भार बढ़ने की वजह से ग्वाले ने शिवलिंग को भूमि पर रख दिया. रावण ने शिवलिंग को उठाने की काफी कोशिश की, लेकिन असफल रहा. क्रोध में आकर रावण ने अपने अंगूठे से शिवलिंग को जोर से दबा दिया. जिसका निशान शिवलिंग पर आज भी मौजूद है. हर साल सावन महीने में यहां लाखों भक्त इस शिवलिंग के दर्शन करने आते हैं.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां लोक मान्यताओं/ पौराणिक कथाओं पर आधारित हैं. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. Zeeupuk इसकी किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है.
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