Rampur Shiv Mandir: दुनियाभर में ऐसे अनेकों शिव मंदिर हैं, जहां सावन में भक्तों का तांता लगता है, ऐसे में यूपी में 300 साल से भी ज्यादा पुराना एक शिव मंदिर है. जहां जलाभिषेक के लिए लंबी-लंबी कतारें लगती है. आइए जानते हैं रामपुर के इस मंदिर की पौराणिक मान्यता क्या है?
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Rampur Shiv Mandir: दुनियाभर में आपको कई प्राचीन शिव मंदिर मिलेंगे, जो अपने आप में कई रहस्य और कहानियां समेटे हुए हैं. सभी मंदिरों की अपनी-अपनी कहानी और मान्यताएं हैं. ऐसे में सावन महीने में इन मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ जुटती है. आज हम बात करेंगे रामपुर के एक ऐसे ही शिव मंदिर की, जो 300 साल से भी ज्यादा पुराना है. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग के प्रति शिव भक्तों में गहरी आस्था है. यह नगर का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है. वैसे तो इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त आते ही रहते हैं, लेकिन सावन, शिवरात्रि और गंगा स्नान के मौके पर यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है. महादेव का जलाभिषेक करने के लिए भक्त लाइनों में घंटों इंतजार करते हैं.
300 साल से भी ज्यादा पुराना
रामपुर के पुराना गंज क्षेत्र की संकरी गलियों में ये मंदिर स्थित है. इस मंदिर को हरिहर मंदिर के नाम से जाना जाता है. ये शिव मंदिर हरिहर की बगिया के नाम से भी प्रसिद्ध है. यहां के पुजारी बताते हैं कि पिछली सात पीढ़ियों से इस मंदिर में उनका परिवार अपनी सेवा दे रहा है. इस प्राचीन शिव मंदिर को लेकर मान्यता है कि 300 साल से भी अधिक पहले यहां जगल में हरिहर बाबा रहते थे, जो नियमित रूप से महादेव की पूजा-अर्चना किया करते थे. उन्होंने ही यहां एक दिव्य शिवलिंग की स्थापना की. 300 साल पहले बाबा ने यहीं समाधि ले ली. आज भी यहां उनकी समाधि मौजूद है.
क्यों खास है ये मंदिर?
इस प्राचीन शिव मंदिर की एक और खासियत है. यहां आपको नवग्रह देखने को मिलेंगे. जो आमतौर पर बहुत कम ही देखने को मिलते हैं. इस मंदिर में समृद्धि, प्रसिद्ध, धन और सामाजिक स्थिति के देवता हैं. मंदिर की मूर्तियां असाधारण रूप से सुंदर और जटिल रूप से नक्काशीदार है, जिनमें राम परिवार, शिव परिवार, राधाकृष्ण, हनुमान जी, अन्य सभी देवी देवता विराजमान हैं. मान्यता है कि सच्चे मन से अगर कोई मनोकामना लेकर यहां दर्शन करें तो उसकी सभी कामनाएं पूर्ण होती है. जिसकी वजह से बड़ी संख्या में भक्त अपनी हाजिरी लगाने पहुंचते हैं.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. Zeeupuk इसकी किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है.
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