Almora  Lok Sabha Seat Voting Percentage: अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर बीजेपी के अजय टम्टा का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा से रहा. इस सुरक्षित सीट पर दोनों ही दिग्गजों के बीच कांटे की लड़ाई मतदान के दिन देखी गईबात अल्मोड़ा लोकसभा सीट की करें तो यहां से लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी ने मौजूदा सांसद पर अजय टम्टा पर भरोसा जताते हुए एक बार फिर उनको टिकट दिया था. अल्मोड़ा सीट पर पहले चरण में हुए मतदान में महज 47.60 फीसदी ही वोटिंग हुई थी.


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अल्मोड़ा लोकसभा सीट का परिचय
चीन और नेपाल के साथ-साथ गढ़वाल मंडल की सीमा से सटे चार जिलों में फैली अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय सीट अपने अलग मिजाज के लिए जानी जाती है. अल्मोड़ा को उत्तराखंड सी सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है. यहां काली, गोरी, पूर्वी व पश्चिमी रामगंगा, सरयू, कोसी नदियों वाले क्षेत्र में हिमालय का भू-भाग भी है. अल्मोड़ा शहर की बात करें तो यह हिमालय श्रृंखला की एक पहाड़ी के किनारे पर बसा यह इलाका बेहद मनमोहक है. इस क्षेत्र को राजा बालो कल्याण चंद ने 1568 में बसाया था. महाभारत के समय से ही यहां की पहाड़ियों और आसपास के क्षेत्रों में मानव बस्तियों जिक्र मिलता है. यह क्षेत्र चंदवंशीय राजाओं की राजधानी थी. इस धार्मिक नगरी में बेहद प्राचीन और महत्वपूर्ण मंदिर हैं. इनमें गैराड गोलू देवता, नंदा देवी मंदिर, बानडी देवी मंदिर, कटारमल सूर्य मंदिर, गणनाथ मंदिर, बिनसर महादेव मंदिर, जागेश्वेर धाम और कसार देवी मंदिर का प्रमुख स्थान है. 


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3 दशक तक सिर्फ कांग्रेस
कभी कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर पिछले 33 साल से बीजेपी का कब्जा है. 90 के दशक के बाद से कांग्रेस सिर्फ एक बार ही इस सीट की जीत पाने में कामयाब हो पाई है. इस सीट के अस्तित्व में आने के बाद से बात की जाए तो इस सीट पर कांग्रेस का अधिक बार कब्जा रहा है. इस सीट पर 9 बार कांग्रेस और 7 बार बीजेपी को जीत मिली है. 1957 में पहली बार इस सीट पर लोकसभा के चुनाव हुए थे. 1957 में कांग्रेस के जंग बहादुर बिष्ट को इस सीट पर जीत मिली थी. सन् 1971 तक के पांच चुनावों में लगातार कांग्रेस को इस सीट से जीत हासिल हुई. 1977 में पहली बार जनता पार्टी के मुरली मनोहर जोशी को इस सीट से जीत मिली. इसके बाद फिर इस सीट पर कांग्रेस ने वापसी कर ली. 


बीजेपी की वापसी
1980 से 1991 के बीच हुई 3 बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के हरीश रावत को इस सीट से जीत मिली. इसके बार कांग्रेस अब- तक इस सीट पर लगातार संघर्ष कर रही है. सन् 1991 में फिर से भीजेपी ने इस सीट पर वापसी की. बीजेपी के प्रत्याशी जीवन शर्मा को इस सीट पर जीत मिली. तब से भाजपा का इस सीट पर लगातार कब्जा बना हुआ है. 1996 से 2009 तक   भाजपा के कद्दावर नेता बची सिंर रावत का अल्मोड़ा सीट पर कब्जा रहा. 2009 के लोकसभा चुनाव में प्रदीप टम्टा ने फिर से इस सीट को कांग्रेस की झोली में डाला. लेकिन 2014 में भयंकर मोदी लहर होने के कारण उनको इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा. 2014 में भाजपा के प्रत्याशी अजय टम्टा को इस सीट पर जीत मिली. 2019 में भी उन्होंने इस सीट पर जीत हासिल की और इस सीट को भाजपा के खाते में डाला. 2024 के लोससभा चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर अजय टम्टा पर भरोसा किया है और उनको अल्मोड़ा लोकसभा सीट से टिकट दिया है. 


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वर्तमान समीकरण
अल्मोड़ा- पिथौरागढ़ लोकसभा सीट साल 2009 के आरक्षित है. 2009 में कांग्रेस ने प्रदीप टम्टा तो बीजेपी ने अजय टम्टा पर दांव खेला था. इन दोनों प्रत्याशियों के बीज तब से टक्कर चल रही है. तब से 1 बार प्रदीप टम्टा और 2 बार अजय टम्टा को जीत मिली है. बीजेपी ने फिर से 2 बार से सांसद अजय टम्टा पर भरोसा जताया है. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस किसको टिकट देगी. क्या कांग्रेस लगातार 2 बार से हार रहे प्रदीप टम्टा को टिकट देगी या कोई नया दांव खेलेगी. 2004 से वर्ष 2014 तक देश में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार रही. वर्ष 2009 में आरक्षण लागू होने के बाद प्रदीप टम्टा को कांग्रेस ने पहली बार मैदान में उतारा. भाजपा के अजय टम्टा ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी. इस रोमांचक मुकाबले में प्रदीप ने अजय टम्टा को महज 6950 मतों से हराया था. जीत का अंतर 2 प्रतिशत था. साल 2014 में नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़े गए आम चुनाव में अजय टम्टा ने 95690 मतों से प्रदीप टम्टा को हराया. इस बार हार जीत का अंतर प्रतिशत 15 फीसदी रहा. लेकिन यह अंतर 2019 के चुनाव में कई अधिक बढ़ गया. तब अजय टम्टा ने प्रदीप टम्टा को 232986 मतों से मात दी. हार जीत के अंतर भी दोगुना से अधिक 34 प्रतिशत तक पहुंच गया.